शनिवार, मार्च 16, 2019

ग़ज़ल .... मेरे प्यार की कहानी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh


मेरे प्यार की कहानी है जुदा कहूं मैं कैसे!
चुपचाप भी मगर अब सहती रहूं मैं कैसे!

वो न अजनबी है लेकिन मेरा भी वो नहीं है
क्या दिल में चल रहा है उसके पढ़ूं मैं कैसे!

न है शर्त और न कोई वादा किया है हमने,
दुनिया जो मारे ताने, आखिर सहूं मैं कैसे!

ग़ज़लें कही हैं ढेरों, न सुकूं मिला है दिल को,
मिसरों की डोरियों से सपने बुनूं मैं कैसे !

काली सफेद राहें, जैसे हों इक भुलैया,
अब ज़िन्दगी में "वर्षा" रंग फिर भरूं मैं कैसे !
               - डॉ. वर्षा सिंह

Ghazal - Dr. Varsha Singh

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