शुक्रवार, मार्च 20, 2020

Dr. Varsha Singh


    विश्व गौरैया दिवस पर विशेष ग़ज़ल

       चिड़िया
                - डॉ. वर्षा सिंह
   
अब घर की मुंडेरों पर, दिखती ही नहीं चिड़िया।
पंखों में खुशी भर कर, उड़ती ही नहीं चिड़िया।

स्वारथ की कुल्हाड़ी ने  जंगल को मिटा डाला
विश्वास के दानों को, चुगती ही नहीं चिड़िया।

तिनका भी नहीं मिलता, अब नीड़ बनाने को
सपनों की उड़ानें भी भरती ही नहीं चिड़िया।

ध्वनियां  हैं बहुत सारी, बेचैन  हवाओं में
फूलों से  नई बातें करती ही नहीं चिड़िया।

दुबकी है कहीं जा कर, अनजान ठिकाने में
‘वर्षा’ के इशारे भी पढ़ती ही नहीं चिड़िया।

     --------///-------

#ग़ज़लवर्षा
#ghazal_varsha


   आज विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 20 मार्च 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=26807



1 टिप्पणी: