Dr. Varsha Singh |
ग़ज़ल
- डॉ. वर्षा सिंह
अगले पल का पता नहीं फिर लफड़ा क्यों ?
सबसे ख़ुद को साबित करना तगड़ा क्यों ?
गली, मुहल्ला, शहर सभी हैं एक अगर
हम दोनों के बीच आपसी झगड़ा क्यों ?
माना टकराहट है कहीं विचारों में
तो भी आखिर मार-कुटौव्वल पचड़ा क्यों ?
अच्छे कपड़ों में सज कर कब सोचा है !
पत्थर तोड़ रही वह पहने चिथड़ा क्यों ?
मुस्काते चेहरों वाली इस महफ़िल में
पता नहीं "वर्षा" ने रोया दुखड़ा क्यों ?
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मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 28 फरवरी 2020 में स्थान मिला है।- डॉ. वर्षा सिंह
अगले पल का पता नहीं फिर लफड़ा क्यों ?
सबसे ख़ुद को साबित करना तगड़ा क्यों ?
गली, मुहल्ला, शहर सभी हैं एक अगर
हम दोनों के बीच आपसी झगड़ा क्यों ?
माना टकराहट है कहीं विचारों में
तो भी आखिर मार-कुटौव्वल पचड़ा क्यों ?
अच्छे कपड़ों में सज कर कब सोचा है !
पत्थर तोड़ रही वह पहने चिथड़ा क्यों ?
मुस्काते चेहरों वाली इस महफ़िल में
पता नहीं "वर्षा" ने रोया दुखड़ा क्यों ?
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युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=25509
#ग़ज़लवर्षा
#ghazal_varsha
#युवाप्रवर्तक
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंकभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।
जी, धन्यवाद !
हटाएंआपके ब्लॉग पर पहुंच रही हूं 😊
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