रविवार, मार्च 15, 2020

ग़ज़ल ... अगले पल का पता नहीं - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh

ग़ज़ल
        - डॉ. वर्षा सिंह

अगले पल का पता नहीं फिर लफड़ा क्यों ?
सबसे ख़ुद को साबित करना तगड़ा क्यों ?

गली, मुहल्ला, शहर सभी हैं एक अगर
हम दोनों के बीच आपसी झगड़ा क्यों ?

माना टकराहट है कहीं विचारों में
तो भी आखिर मार-कुटौव्वल पचड़ा क्यों ?

अच्छे कपड़ों में सज कर कब सोचा है !
पत्थर तोड़ रही वह पहने चिथड़ा क्यों ?

मुस्काते चेहरों वाली इस महफ़िल में
पता नहीं "वर्षा" ने रोया दुखड़ा क्यों ?

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      मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 28 फरवरी 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=25509

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