गुरुवार, फ़रवरी 18, 2021

हादसों की ख़बर | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh

हादसों की खबर

    

          - डॉ. वर्षा सिंह


रात भर नींद क्यों टूटती रह गई 

मैं हवा से वज़ह पूछती रह गई 


इत्तेफ़ाक़न हुआ या कि साज़िश हुई 

ख़ुद नदी धार में डूबती रह गई 


इस तरफ है अंधेरा, उधर घोर तम

रोशनी बीच में झूलती रह गई


हादसों की खबर रोज़ अख़बार में 

देखकर, हर सुबह बूझती रह गई 


घर से निकला था, स्कूल पहुंचा नहीं

एक  बेटे  को  मां  ढूंढती रह गई


एक लम्हा खुशी का न ठहरा यहां 

देहरी आहटें चूमती रह गई 


प्यास को झील की थी ज़रूरत मगर

बांसवन में फंसी घूमती रह गई 


एक बादल न "वर्षा" का अपना हुआ

ज़िन्दगी आग से जूझती रह गई 


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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)

23 टिप्‍पणियां:


  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 19-02-2021) को
    "कुनकुनी सी धूप ने भी बात अब मन की कही है।" (चर्चा अंक- 3982)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. चर्चा हेतु मेरी पोस्ट का चयन करने के लिए हार्दिक आभार प्रिय मीना भारद्वाज जी 🙏

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  2. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी 🙏

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  3. इत्तेफ़ाक़न हुआ या कि साज़िश हुई

    ख़ुद नदी धार में डूबती रह गई ।

    वाह , हर शेर लाजवाब । धार में नदी का डूबना ....अद्भुत चिंतन

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    उत्तर
    1. प्रणाम आदरणीया 🙏
      आपकी सराहना पा कर मेरा सृजन सार्थक हो गया।
      हार्दिक धन्यवाद 🙏
      शुभकामनाओं सहित,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  4. खूबसूरत शेरों से सजी नायाब ग़ज़ल..

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  5. वाह्ह्ह्हृ! लाजवाब वर्षा जी बहुत ही उम्दा बहुत ही सुंदर।
    शेर कुछ और भी कहते चाह पढ़ने की रह गई।
    बेहतरीन।

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    1. आदरणीया कुसुम कोठारी जी, आपकी इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए हृदयतल की गहराइयों से धन्यवाद 🙏

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  6. हादसों की खबर रोज़ अख़बार में
    देखकर, हर सुबह बूझती रह गई

    घर से निकला था, स्कूल पहुंचा नहीं
    एक बेटे को मां ढूंढती रह गई

    समसामयिक परिदृश्य पर लाजवाब पंक्तियां 🌹🙏🌹

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  7. इत्तेफ़ाक़न हुआ या कि साज़िश हुई

    ख़ुद नदी धार में डूबती रह गई

    बहुत खूब,लाज़बाब गजल,सादर नमन वर्षा जी

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    उत्तर
    1. आपकी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार प्रिय कामिनी सिन्हा जी 🙏

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  8. बहुत सुंदर ग़ज़ल आदरणीया

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    1. बहुत आत्मीय धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी 🙏

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  9. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद दीपक कुमार भानरे जी 🙏

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