Dr. Varsha Singh |
दौर आज का
- डॉ. वर्षा सिंह
समय भूमिका लिखता है ख़ुद, और समापन भी
जीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी
ये जो पत्ती हरी हुई है, फूल गुलाबी-से
ये चर्चाएं हैं मौसम की और विज्ञापन भी
दौर आज का यक्ष सरीखा 'कैटवॉक' करता
उसके सभी पुरातन में है एक नयापन भी
औरों ने जो समझाया, यदि समझ नहीं आया
करना होगा बेशक खुद ही अब अध्यापन भी
ख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा
लेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी
लिया हुआ है व्रत यदि अपने हठ पर चलने का
यह मत भूलो, करना होगा फिर उद्यापन भी
"वर्षा" की बूंदों में शामिल जीवन का जल है
अंजुरी में भरकर, कर डालो उसका मापन भी
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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-02-2021) को
"समय भूमिका लिखता है ख़ुद," (चर्चा अंक- 3968) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
सूचनार्थ - चर्चा अंक 3968 की चर्चा का शीर्षक आपकी ग़ज़ल की पंक्ति से लिया गया है ,सादर ..
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार प्रिय मीना भारद्वाज जी 🙏
हटाएंयह आपकी सदाशयता है जो आपने मेरी ग़ज़ल की पंक्ति से आज के अंक का शीर्षक बनाया है। पुनः हार्दिक आभार 🙏
ख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा
जवाब देंहटाएंलेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी
... बहुत खूब!!!
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विश्वमोहन जी 🙏
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय जोशी जी 🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 फरवरी को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार प्रिय यशोदा जी 🙏
हटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल वर्षा जी - सदा की भांति । मतले का मिसरा ही सीधी-सच्ची बात कह देता है - समय भूमिका लिखता है ख़ुद और समापन भी ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏
हटाएंसुन्दर और सार्थक गीतिका।
जवाब देंहटाएंसभी अशआर बहुत करोने से सजाये हैं आपने।
हृदय की गहराइयों से आपके प्रति आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏
हटाएंजीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!--ब्रजेंद्रनाथ
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ब्रजेंद्रनाथ जी 🙏
हटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय सान्याल जी 🙏
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर।
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सधु जी 🙏
हटाएंख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा
जवाब देंहटाएंलेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी
लिया हुआ है व्रत यदि अपने हठ पर चलने का
यह मत भूलो, करना होगा फिर उद्यापन भी
भावपूर्ण शब्द जाल
बहुत सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी 🙏
हटाएंसमय भूमिका लिखता है ख़ुद, और समापन भी
जवाब देंहटाएंजीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी
बहुत खूब वर्षा जी,सादर नमन
बहुत शुक्रिया प्रिय कामिनी जी 🙏
हटाएंवाह!गज़ब का सृजन दी।
जवाब देंहटाएंसादर
हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनीता जी 🙏
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