गुरुवार, फ़रवरी 04, 2021

दौर आज का | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh


दौर आज का


       - डॉ. वर्षा सिंह


समय भूमिका लिखता है ख़ुद, और समापन भी 

जीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी


ये जो पत्ती हरी हुई है, फूल गुलाबी-से 

ये चर्चाएं हैं मौसम की और विज्ञापन भी 


दौर आज का यक्ष सरीखा 'कैटवॉक' करता 

उसके सभी पुरातन में है एक नयापन भी 


औरों ने जो समझाया, यदि समझ नहीं आया

करना होगा बेशक खुद ही अब अध्यापन भी


ख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा

लेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी 


लिया हुआ है व्रत यदि अपने हठ पर चलने का 

यह मत भूलो, करना होगा फिर उद्यापन भी


"वर्षा" की बूंदों में शामिल जीवन का जल है

अंजुरी में भरकर, कर डालो उसका मापन भी 


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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)

25 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-02-2021) को
    "समय भूमिका लिखता है ख़ुद," (चर्चा अंक- 3968)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.

    सूचनार्थ - चर्चा अंक 3968 की चर्चा का शीर्षक आपकी ग़ज़ल की पंक्ति से लिया गया है ,सादर ..

    "मीना भारद्वाज"

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    1. हार्दिक आभार प्रिय मीना भारद्वाज जी 🙏

      यह आपकी सदाशयता है जो आपने मेरी ग़ज़ल की पंक्ति से आज के अंक का शीर्षक बनाया है। पुनः हार्दिक आभार 🙏

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  2. ख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा

    लेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी
    ... बहुत खूब!!!

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विश्वमोहन जी 🙏

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज गुरुवार 04 फरवरी को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत अच्छी ग़ज़ल वर्षा जी - सदा की भांति । मतले का मिसरा ही सीधी-सच्ची बात कह देता है - समय भूमिका लिखता है ख़ुद और समापन भी ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏

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  5. सुन्दर और सार्थक गीतिका।
    सभी अशआर बहुत करोने से सजाये हैं आपने।

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    1. हृदय की गहराइयों से आपके प्रति आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏

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  6. जीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी।
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ब्रजेंद्रनाथ जी 🙏

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  7. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सान्याल जी 🙏

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  8. ख़ूब परायापन झेला है अपनों के द्वारा
    लेकिन ग़ैरों से पाया है कुछ अपनापन भी

    लिया हुआ है व्रत यदि अपने हठ पर चलने का
    यह मत भूलो, करना होगा फिर उद्यापन भी

    भावपूर्ण शब्द जाल

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  9. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी 🙏

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  10. समय भूमिका लिखता है ख़ुद, और समापन भी

    जीवन के हर पल को देता है वह इक ज्ञापन भी


    बहुत खूब वर्षा जी,सादर नमन

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