गुरुवार, दिसंबर 31, 2020

नया साल 2021 | नयी उम्मीदें | कुछ नई-पुरानी ग़ज़लें | डॉ. वर्षा सिंह

Dr Varsha Singh

ग़ज़लों के आईने मेंं नया साल
               - डॉ. वर्षा सिंह

समय का पहिया लगातार घूमता रहता है। साल दर साल ज़िन्दगी चलती रहती है। एक साल जनवरी से शुरू हो कर दिसम्बर में ख़त्म हो जाता है। फिर दूसरा नया साल शुरू हो जाता है। हर दफ़ा नए साल के प्रति उम्मीदें जागती हैं .... वह जो पुराने साल में मिला, उससे कुछ अलग और बेहतर वक़्त की उम्मीदें।
वर्ष 2020 के लिए 2019 में उम्मीदें जागी थीं, लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाऊन मानो ज़िन्दगी थम सी गई। बहुत कुछ बदलाव जिए हैं हमने। अब, जबकि वर्ष 2020 विदा ले रहा तो आने वाले नववर्ष 2021 के प्रति हम सभी आशान्वित हैं कि यह आगामी वर्ष पहले से बेहतर ही होगा। 

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित  साल के बदलाव की इस समययात्रा के साथ ग़ज़लयात्रा में आज प्रस्तुत हैं कुछ नई - पुरानी, ऐसी चुनिंदा ग़ज़लें जिनमें नए साल के आगमन के प्रति अनेक आशाएं दृष्टिगोचर होती हैं।

एक

प्राण शर्मा की ग़ज़ल : नए साल में

Pran Sharma

छेड़ ऐसी ग़ज़ल इस नए साल में
झूमे मन का कँवल इस नए साल में

कोई ग़मगीन माहौल क्यों हो भला
हर तरफ़ हो चहल इस नए साल में

गिर न पाये कभी है यही आरजू
हसरतों का महल इस नए साल में

याद आए सदा कारनामा तेरा
मुश्किलें कर सहल इस नए साल में

नेकियों की तेरी यूँ कमी तो नहीं
हर बदी से निकल इस नए साल में

पहले ख़ुद को बदल कर दिखा हमसफ़र
फिर तू जग को बदल इस नये साल में

रोज़ इतना ही काफी है तेरे लिए
मुस्करा पल दो पल इस नए साल में

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दो

कुलदीप सलिल की ग़ज़ल : नया साल है

Kuldeep Salil

वक़्त यूँ ही न गँवाओ कि नया साल है आज 
दोस्तो, जाम उठाओ, कि नया साल है आज

फ़ैसले करने हैं हमको कई अहम बहुत ही 
नए वक़्तों को बुलाओ कि नया साल है आज

मोड़ दो चाहे जिधर सिरफिरे दरियाओं का रुख 
आज की मस्त हवाओ, कि नया साल है आज 

एक पहलू से बहें अश्क, खिले दूजे से फूल 
वो ग़ज़ल आज सुनाओ, कि नया साल है आज 

इल्तिज़ा करते रहे सारा बरस, आप आएँ 
आज घर हमको बुलाओ कि नया साल है आज 

आसमानों पे बड़ा नाज़ है तुमको फ़रिश्तो 
आँख धरती से मिलाओ कि नया साल है आज 

आज रह जाए न अरमान कोई दिल में 'सलिल' 
कल पे कुछ भी न उठाओ की नया साल है आज 

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तीन

निदा फ़ाज़ली की ग़ज़ल : वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र

Nida Fazali

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक
किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं


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चार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' की ग़ज़ल : नया फिर साल आया है

Dr. Roopchandra Shastri Mayank


बहुत मज़बूत बन्धन है, इसे कमजोर मत कहना
बँधी जो प्यार की डोरी, बहुत अनमोल वो गहना

रिवाज़ों और रस्मों की, यहाँ परवाह है किसको
भले अवरोध कितने हों, नदी का काम है बहना

ज़माने के सितम के सामने, झुकना कभी भी मत
मुकद्दर के थपेड़ों को, हमेशा प्यार से सहना

अमर है आत्माएँ जब, तो क्यों है मौत से डरना
मुहब्बत की रवायत है, सलीबों पर टँगे रहना

नया फिर साल आया है, नयी उम्मीद जागी है
बड़ी मुश्किल से गुलशन ने, बसन्ती “रूप” है पहना

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पांच 

डॉ (सुश्री) शरद सिंह की ग़ज़ल : नए  साल  में  

Dr (Miss) Sharad Singh

नए  साल  में   हर  नई बात हो।
ख़ुशियों  की  हरदम ही बरसात हो।

हो  इंसानियत   की   तरफ़दारियां
सभी  के दिलों  में  ये जज़्बात हो।

मुश्क़िल  जो  आई   गए  साल में
नए साल में  उसकी  भी  मात हो।

सभी  स्वस्थ  रह  कर जिएं ज़िन्दगी
दुखों की न  कोई  भी अब घात हो।

‘शरद’ की दुआ  है अमन, चैन की
चमकता  हुआ दिन  भी हो, रात हो।
               

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छः

दिगम्बर नासवा की ग़ज़ल : नये साल में
Digambar Naswa

नये साल में नये गुल खिलें, नई हो महक नया रंग हो
यूं ही खिल रही हो ये चांदनी यूं ही हर फिजां में उमंग हो

तेरी सादगी मेरी ज़िंदगी, तेरी तिश्नगी मेरी बंदगी
मेरे हम सफ़र मेरे हमनवा, मैं चलूं जो तू मेरे संग हो

न तो धूल हो, न बबूल हो, न ही शूल हो, हो जो फूल हो
यूँ ही साथ साथ रहें सदा, ये सफ़र तेरा नवरंग हो

जो तेरे करम की ही बात हो, न मैं ख़ास हूँ न वो ख़ास हो
तेरे हुस्न पर हैं सभी फिदा, तेरे नूर में वो तरंग हो

न तो नफ़रतों की बिसात हो, न तो मज़हबों की ही बात हो
न उदास कोई भी रात हो, न चमन में कोई भी जंग हो

जो कभी हुवे थे गुलाम हम, मेरे साथिया उसे याद रख
न तो बेवफा ही रहे कोई, न कभी निज़ामे-फिरंग हो

कहीं खो न जाऊं शहर में मैं, मेरे हक़ में कोई दुआ करे
न तो रास्ते मेरे गाँव के, मेरे घर की राह न तंग हो

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सात

राजेश रेड्डी की ग़ज़ल : तरस रहे हैं एक सहर को

Rajesh Reddy

रोज़ सवेरे दिन का निकलना, शाम में ढलना जारी है
जाने कब से रूहों का ये ज़िस्म बदलना जारी है

तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिए
सदियों से इन्सान का अपने आपको छलना जारी है

जाने कितनी बार ये टूटा जाने कितनी बार लुटा
फिर भी सीने में इस पागल दिल का मचलना जारी है

बरसों से जिस बात का होना बिल्कुल तय सा लगता था
एक न एक बहाने से उस बात का टलना जारी है

तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से
वैसे तो हर रोज़ यहाँ सूरज का निकलना जारी है


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आठ

गौतम राजरिशी : नए साल में

Gautam Rajrishi

हो नया-नया तेरा जोश और नयी-नयी सी उमंग हो
नए साल में नये गुल खिलें, नयी हो महक, नया रंग हो

रहे बरकरार जुनून ये, तू छुये तमाम बुलंदियाँ
जो कदम तेरे चले सच की राह तो हौसला तेरे संग हो

है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे, तो हुआ करे
तेरे पंख हो नया दम लिये, नयी कोशिशें, नया ढ़ंग हो

कई आँधियाँ अभी आयेंगी, तेरी डोर को जरा तौलने
है यही दुआ, तेरे नाम की यहाँ सबसे ऊँची पतंग हो

चलें सर्द-सर्द हवायें जब तेरे खूं में शूल चुभोने को
हो उबाल तेरी रगों में औ’ कोई खौलती-सी तरंग हो

हो कलम तेरी जरा और तेज, निखर उठे तेरे लफ़्ज़ और
तेरे शेर पर मिले दाद सौ, तुझे सुन के दुनिया ये दंग हो

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नौ

प्रकाश अर्श की ग़ज़ल  : नया साल

Prakash Arsh

हवाओं में खुश्बू ये घुल के बताए
वो खिड़की से जब भी दुप्पटा उड़ाए

मचलना बहकना शरम जैसी बातें
ये होती हैं जब मेरी बाहों में आए 

उनीदी सी आँखों से सुब्ह कोई जब भी
मेरी जां कहके मेरी जां ले जाए 

अजब बात होती है मयखाने में भी
जो सब को संभाले वही लडखडाए 

वो शोखी नज़र की बला की अदाएं
ना पूछो वजह क्यूँ कदम डगमगाए 

मुझे जब बुला ना सके भीड़ में तो
छमाछम वो पायल बजा कर सुनाए 

उम्मीदों में बस साल दर साल गुजरे
न जाने नया साल क्या गुल खिलाए 

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और अंत में मेरी यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह की एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है -

दस

डॉ. वर्षा सिंह की ग़ज़ल : नए साल में

Dr Varsha Singh


पूरी होंगी चर्चाएं जो बाकी हैं
नये साल में नयी उमीदें जागी हैं

आने वाले दिन शायद कुछ बेहतर हों
पिछली यादें बड़ी रुलाने वाली हैं

भरे हुए जो घर बाहर से लगते हैं
भीतर से वे बिलकुल खाली-खाली हैं

औरत का दर्ज़ा दुनिया में दोयम है
यूं कहने को वे ही दुनिया आधी हैं 

रोज़ी की ख़ातिर जो भटके सड़कों पर
चलती-फिरती वे कबीर की साखी हैं

मोबाईल की भेंट चढ़ी हैं तालीमें
आगामी पर आज सभी पल भारी हैं

भेद-भाव की दिखती काली छाया है
जहां कहीं भी "वर्षा" नज़रें डाली हैं

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32 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल से जुड़ी कमल की गजलों का संकलन है यहाँ ...
    एक से बढ़ कर एक कलाम ... मज़ा आ गया ... आपको नव वर्ष मंगल मय हो ...
    मेरी गज़ल को शामिल करने का भुत बहुत आभार ....

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    1. मेरे ब्लॉग पर आपका सदैव स्वागत है आदरणीय 🙏🏻💐🙏🏻

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  2. बहुत अच्छा संकलन है वर्षा जी । उम्मीदें तो हर नये साल से लगानी ही पड़ती हैं क्योंकि यह कायनात उम्मीद पर ही तो क़ायम है । आपके इस प्रयास के लिए आभार एवं अभिनंदन आपका

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    1. आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी,
      बहुत शुक्रिया 🙏🏻
      नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  3. लाजवाब संकलन। नव वर्ष मंगलमय हो सभी को सपरिवार। सुन्दर।

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    1. आदरणीय जोशी जी,
      बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  4. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 01-01-2021) को "नए साल की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3933) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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    1. प्रिय मीना जी,
      बहुत शुक्रिया 🙏🏻
      नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
      सस्नेह,
      डॉ. वर्षा सिंह

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    2. नववर्ष आपके लिए सुख और समृद्धिकारी हो ⭐🌹🙏🌹

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    3. प्रिय मीना जी बहुत शुक्रिया 🌷🍁☘️🙏🏻☘️🍁🌷

      आपके लिए भी नववर्ष मंगलमय हो 🌷🍁☘️🙏🏻☘️🍁🌷

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 31 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. प्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
      बहुत धन्यवाद 🙏🏻
      नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
      सस्नेह,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।
    नववर्ष मंगलमय हो।

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    1. प्रिय श्वेता जी,
      बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको भी 🙏🏻💐🙏🏻
      सस्नेह,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। एक से बढ़कर एक गजल। सराहनीय प्रयास। आपको नववर्ष क अवसर पर ढेरों शुभकामनाएं और बधाई।

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    1. हार्दिक धन्यवाद वीरेंद्र सिंंह जी 🙏🏻💐🙏🏻

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  8. सुंदर ग़ज़लों की महफ़िल सजा दी आपने वर्षा जी. बहुत शुक्रिया..नव वर्ष की असीम शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..

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  9. एक से बढ़कर एक गजलें पढ़वाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
    🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत माथुर जी 🙏🏻💐🙏🏻

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  10. एक से एक बढ़कर सुन्दर रचनाये प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    नववर्ष की यही मंगलकामनाएं करते हैं कि ....
    नव वर्ष में नव पहल हो
    कठिन जीवन और सरल हो
    नए वर्ष का उगता सूरज
    सबके लिए सुनहरा पल हो

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  11. बेहतरीन प्रस्तुति। नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी 🙏🏻🌹🙏🏻

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  12. हार्दिक धन्यवाद वर्षा दी, आपकी पोस्ट में स्थान पाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

    नववर्ष मंगलमय हो ⭐🌹🙏🌹⭐

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    1. सुस्वागतम् प्रिय बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ❤️🌷❤️

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  13. बहुत सुन्दर संकलन व प्रस्तुति - - नूतन वर्ष की असंख्य शुभकामनाएं।

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  14. नये साल को लेकर हर ग़ज़लकार के सुंदर सार्थक भाव।
    हर ग़ज़ल कुछ कह रही है।
    शानदार संकलन एक ही पेज पर।
    बहुत उम्दा प्रस्तुति।
    नयावर्ष आपको एंव समस्त परिवार जनों को मंगलमय हो।

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    1. आदरणीय कुसुम कोठरी जी,
      बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
      आपकी टिप्पणी मेरा सम्बल है।
      आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ☘️🍁🌷☘️🌷🍁☘️

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