- डॉ. वर्षा सिंह
समय का पहिया लगातार घूमता रहता है। साल दर साल ज़िन्दगी चलती रहती है। एक साल जनवरी से शुरू हो कर दिसम्बर में ख़त्म हो जाता है। फिर दूसरा नया साल शुरू हो जाता है। हर दफ़ा नए साल के प्रति उम्मीदें जागती हैं .... वह जो पुराने साल में मिला, उससे कुछ अलग और बेहतर वक़्त की उम्मीदें।
वर्ष 2020 के लिए 2019 में उम्मीदें जागी थीं, लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाऊन मानो ज़िन्दगी थम सी गई। बहुत कुछ बदलाव जिए हैं हमने। अब, जबकि वर्ष 2020 विदा ले रहा तो आने वाले नववर्ष 2021 के प्रति हम सभी आशान्वित हैं कि यह आगामी वर्ष पहले से बेहतर ही होगा।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित साल के बदलाव की इस समययात्रा के साथ ग़ज़लयात्रा में आज प्रस्तुत हैं कुछ नई - पुरानी, ऐसी चुनिंदा ग़ज़लें जिनमें नए साल के आगमन के प्रति अनेक आशाएं दृष्टिगोचर होती हैं।
एक
प्राण शर्मा की ग़ज़ल : नए साल में
छेड़ ऐसी ग़ज़ल इस नए साल में
झूमे मन का कँवल इस नए साल में
कोई ग़मगीन माहौल क्यों हो भला
हर तरफ़ हो चहल इस नए साल में
गिर न पाये कभी है यही आरजू
हसरतों का महल इस नए साल में
याद आए सदा कारनामा तेरा
मुश्किलें कर सहल इस नए साल में
नेकियों की तेरी यूँ कमी तो नहीं
हर बदी से निकल इस नए साल में
पहले ख़ुद को बदल कर दिखा हमसफ़र
फिर तू जग को बदल इस नये साल में
रोज़ इतना ही काफी है तेरे लिए
मुस्करा पल दो पल इस नए साल में
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दो
कुलदीप सलिल की ग़ज़ल : नया साल है
वक़्त यूँ ही न गँवाओ कि नया साल है आज
दोस्तो, जाम उठाओ, कि नया साल है आज
फ़ैसले करने हैं हमको कई अहम बहुत ही
नए वक़्तों को बुलाओ कि नया साल है आज
मोड़ दो चाहे जिधर सिरफिरे दरियाओं का रुख
आज की मस्त हवाओ, कि नया साल है आज
एक पहलू से बहें अश्क, खिले दूजे से फूल
वो ग़ज़ल आज सुनाओ, कि नया साल है आज
इल्तिज़ा करते रहे सारा बरस, आप आएँ
आज घर हमको बुलाओ कि नया साल है आज
आसमानों पे बड़ा नाज़ है तुमको फ़रिश्तो
आँख धरती से मिलाओ कि नया साल है आज
आज रह जाए न अरमान कोई दिल में 'सलिल'
कल पे कुछ भी न उठाओ की नया साल है आज
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तीन
निदा फ़ाज़ली की ग़ज़ल : वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक
किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं
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चार
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' की ग़ज़ल : नया फिर साल आया है
बहुत मज़बूत बन्धन है, इसे कमजोर मत कहना
बँधी जो प्यार की डोरी, बहुत अनमोल वो गहना
रिवाज़ों और रस्मों की, यहाँ परवाह है किसको
भले अवरोध कितने हों, नदी का काम है बहना
ज़माने के सितम के सामने, झुकना कभी भी मत
मुकद्दर के थपेड़ों को, हमेशा प्यार से सहना
अमर है आत्माएँ जब, तो क्यों है मौत से डरना
मुहब्बत की रवायत है, सलीबों पर टँगे रहना
नया फिर साल आया है, नयी उम्मीद जागी है
बड़ी मुश्किल से गुलशन ने, बसन्ती “रूप” है पहना
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पांच
डॉ (सुश्री) शरद सिंह की ग़ज़ल : नए साल में
नए साल में हर नई बात हो।
ख़ुशियों की हरदम ही बरसात हो।
हो इंसानियत की तरफ़दारियां
सभी के दिलों में ये जज़्बात हो।
मुश्क़िल जो आई गए साल में
नए साल में उसकी भी मात हो।
सभी स्वस्थ रह कर जिएं ज़िन्दगी
दुखों की न कोई भी अब घात हो।
‘शरद’ की दुआ है अमन, चैन की
चमकता हुआ दिन भी हो, रात हो।
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छः
दिगम्बर नासवा की ग़ज़ल : नये साल में
नये साल में नये गुल खिलें, नई हो महक नया रंग हो
यूं ही खिल रही हो ये चांदनी यूं ही हर फिजां में उमंग हो
तेरी सादगी मेरी ज़िंदगी, तेरी तिश्नगी मेरी बंदगी
मेरे हम सफ़र मेरे हमनवा, मैं चलूं जो तू मेरे संग हो
न तो धूल हो, न बबूल हो, न ही शूल हो, हो जो फूल हो
यूँ ही साथ साथ रहें सदा, ये सफ़र तेरा नवरंग हो
जो तेरे करम की ही बात हो, न मैं ख़ास हूँ न वो ख़ास हो
तेरे हुस्न पर हैं सभी फिदा, तेरे नूर में वो तरंग हो
न तो नफ़रतों की बिसात हो, न तो मज़हबों की ही बात हो
न उदास कोई भी रात हो, न चमन में कोई भी जंग हो
जो कभी हुवे थे गुलाम हम, मेरे साथिया उसे याद रख
न तो बेवफा ही रहे कोई, न कभी निज़ामे-फिरंग हो
कहीं खो न जाऊं शहर में मैं, मेरे हक़ में कोई दुआ करे
न तो रास्ते मेरे गाँव के, मेरे घर की राह न तंग हो
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सात
राजेश रेड्डी की ग़ज़ल : तरस रहे हैं एक सहर को
रोज़ सवेरे दिन का निकलना, शाम में ढलना जारी है
जाने कब से रूहों का ये ज़िस्म बदलना जारी है
तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिए
सदियों से इन्सान का अपने आपको छलना जारी है
जाने कितनी बार ये टूटा जाने कितनी बार लुटा
फिर भी सीने में इस पागल दिल का मचलना जारी है
बरसों से जिस बात का होना बिल्कुल तय सा लगता था
एक न एक बहाने से उस बात का टलना जारी है
तरस रहे हैं एक सहर को जाने कितनी सदियों से
वैसे तो हर रोज़ यहाँ सूरज का निकलना जारी है
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आठ
गौतम राजरिशी : नए साल में
हो नया-नया तेरा जोश और नयी-नयी सी उमंग हो
नए साल में नये गुल खिलें, नयी हो महक, नया रंग हो
रहे बरकरार जुनून ये, तू छुये तमाम बुलंदियाँ
जो कदम तेरे चले सच की राह तो हौसला तेरे संग हो
है जो आसमान वो दूर कुछ, तो हुआ करे, तो हुआ करे
तेरे पंख हो नया दम लिये, नयी कोशिशें, नया ढ़ंग हो
कई आँधियाँ अभी आयेंगी, तेरी डोर को जरा तौलने
है यही दुआ, तेरे नाम की यहाँ सबसे ऊँची पतंग हो
चलें सर्द-सर्द हवायें जब तेरे खूं में शूल चुभोने को
हो उबाल तेरी रगों में औ’ कोई खौलती-सी तरंग हो
हो कलम तेरी जरा और तेज, निखर उठे तेरे लफ़्ज़ और
तेरे शेर पर मिले दाद सौ, तुझे सुन के दुनिया ये दंग हो
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नौ
प्रकाश अर्श की ग़ज़ल : नया साल
हवाओं में खुश्बू ये घुल के बताए
वो खिड़की से जब भी दुप्पटा उड़ाए
मचलना बहकना शरम जैसी बातें
ये होती हैं जब मेरी बाहों में आए
उनीदी सी आँखों से सुब्ह कोई जब भी
मेरी जां कहके मेरी जां ले जाए
अजब बात होती है मयखाने में भी
जो सब को संभाले वही लडखडाए
वो शोखी नज़र की बला की अदाएं
ना पूछो वजह क्यूँ कदम डगमगाए
मुझे जब बुला ना सके भीड़ में तो
छमाछम वो पायल बजा कर सुनाए
उम्मीदों में बस साल दर साल गुजरे
न जाने नया साल क्या गुल खिलाए
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और अंत में मेरी यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह की एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है -
दस
डॉ. वर्षा सिंह की ग़ज़ल : नए साल में
पूरी होंगी चर्चाएं जो बाकी हैं
नये साल में नयी उमीदें जागी हैं
आने वाले दिन शायद कुछ बेहतर हों
पिछली यादें बड़ी रुलाने वाली हैं
भरे हुए जो घर बाहर से लगते हैं
भीतर से वे बिलकुल खाली-खाली हैं
औरत का दर्ज़ा दुनिया में दोयम है
यूं कहने को वे ही दुनिया आधी हैं
रोज़ी की ख़ातिर जो भटके सड़कों पर
चलती-फिरती वे कबीर की साखी हैं
मोबाईल की भेंट चढ़ी हैं तालीमें
आगामी पर आज सभी पल भारी हैं
भेद-भाव की दिखती काली छाया है
जहां कहीं भी "वर्षा" नज़रें डाली हैं
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नए साल से जुड़ी कमल की गजलों का संकलन है यहाँ ...
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक कलाम ... मज़ा आ गया ... आपको नव वर्ष मंगल मय हो ...
मेरी गज़ल को शामिल करने का भुत बहुत आभार ....
मेरे ब्लॉग पर आपका सदैव स्वागत है आदरणीय 🙏🏻💐🙏🏻
हटाएंबहुत अच्छा संकलन है वर्षा जी । उम्मीदें तो हर नये साल से लगानी ही पड़ती हैं क्योंकि यह कायनात उम्मीद पर ही तो क़ायम है । आपके इस प्रयास के लिए आभार एवं अभिनंदन आपका
जवाब देंहटाएंआदरणीय जितेन्द्र माथुर जी,
हटाएंबहुत शुक्रिया 🙏🏻
नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
लाजवाब संकलन। नव वर्ष मंगलमय हो सभी को सपरिवार। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआदरणीय जोशी जी,
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 01-01-2021) को "नए साल की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3933) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
प्रिय मीना जी,
हटाएंबहुत शुक्रिया 🙏🏻
नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
नववर्ष आपके लिए सुख और समृद्धिकारी हो ⭐🌹🙏🌹
हटाएंप्रिय मीना जी बहुत शुक्रिया 🌷🍁☘️🙏🏻☘️🍁🌷
हटाएंआपके लिए भी नववर्ष मंगलमय हो 🌷🍁☘️🙏🏻☘️🍁🌷
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 31 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंप्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
हटाएंबहुत धन्यवाद 🙏🏻
नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻💐🙏🏻
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
नववर्ष मंगलमय हो।
प्रिय श्वेता जी,
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको भी 🙏🏻💐🙏🏻
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। एक से बढ़कर एक गजल। सराहनीय प्रयास। आपको नववर्ष क अवसर पर ढेरों शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद वीरेंद्र सिंंह जी 🙏🏻💐🙏🏻
हटाएंसुंदर ग़ज़लों की महफ़िल सजा दी आपने वर्षा जी. बहुत शुक्रिया..नव वर्ष की असीम शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया जिज्ञासा जी 🌹🙏🏻🌹
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी 🙏🏻💐🙏🏻
हटाएंएक से बढ़कर एक गजलें पढ़वाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏
बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत माथुर जी 🙏🏻💐🙏🏻
हटाएं
जवाब देंहटाएंएक से एक बढ़कर सुन्दर रचनाये प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
नववर्ष की यही मंगलकामनाएं करते हैं कि ....
नव वर्ष में नव पहल हो
कठिन जीवन और सरल हो
नए वर्ष का उगता सूरज
सबके लिए सुनहरा पल हो
बहुत धन्यवाद कविता जी 🙏🏻🌹🙏🏻
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी 🙏🏻🌹🙏🏻
हटाएंहार्दिक धन्यवाद वर्षा दी, आपकी पोस्ट में स्थान पाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो ⭐🌹🙏🌹⭐
सुस्वागतम् प्रिय बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ❤️🌷❤️
हटाएंबहुत सुन्दर संकलन व प्रस्तुति - - नूतन वर्ष की असंख्य शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सान्याल जी 🙏🏻🌺🙏🏻
हटाएंनये साल को लेकर हर ग़ज़लकार के सुंदर सार्थक भाव।
जवाब देंहटाएंहर ग़ज़ल कुछ कह रही है।
शानदार संकलन एक ही पेज पर।
बहुत उम्दा प्रस्तुति।
नयावर्ष आपको एंव समस्त परिवार जनों को मंगलमय हो।
आदरणीय कुसुम कोठरी जी,
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏🏻
आपकी टिप्पणी मेरा सम्बल है।
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ☘️🍁🌷☘️🌷🍁☘️