Dr. Varsha Singh |
शायरी मेरी सहेली की तरह
- डॉ. वर्षा सिंह
शायरी मेरी सहेली की तरह
मेंहदी वाली हथेली की तरह
हर्फ़ की परतों में खुलती जा रही
ज़िन्दगी जो थी पहेली की तरह
मेरे सिरहाने में तकिया ख़्वाब का
नींद आती है नवेली की तरह
आग की सतरें पिघल कर सांस में
फिर महकती हैं चमेली की तरह
ये मेरा दीवान "वर्षा"- धूप का
रोशनी की इक हवेली की तरह
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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)
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जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब वर्षा जी ! बहुत ही प्यारी ग़ज़ल है यह आपकी ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-12-2020) को "शीतल-शीतल भोर है, शीतल ही है शाम" (चर्चा अंक-3924) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय शास्त्री जी,
हटाएंहार्दिक आभार 🙏💐🙏
बहुत लाजवाब शेर ...
जवाब देंहटाएंकमाल की गज़ल है ...
बहुत शुक्रिया तहेदिल से... आपने प्रशंसा की... लेखन सार्थक हुआ।
हटाएं🙏
हार्दिक आभार पम्मी जी 🙏
जवाब देंहटाएंशायरी मेरी सहेली की तरह
जवाब देंहटाएंमेंहदी वाली हथेली की तरह...वाह!बहुत सुंदर दी।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनीता जी 🙏🌷🙏
हटाएंहर शेर लाजवाब बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल मन मोह गई।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
हार्दिक धन्यवाद कुसुम कोठरी जी 🙏🌺🙏
हटाएंकोमल भावों से युक्त
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीया अनिता जी 🙏
हटाएंबेहद प्यारी गजल,सच शायरी और लेखन कार्य अपनी सच्ची सहेली ही तो है वर्षा जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद प्रिय कामिनी जी 🙏🌺🙏
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सुमन जी 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। आपको बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद वीरेंद्र सिंह जी 🙏
हटाएंहर्फ़ की परतों में खुलती जा रही
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी जो थी पहेली की तरह
बहुत सुंदर ग़ज़ल....
बहुत-बहुत धन्यवाद विकास नैनवाल जी 🙏
हटाएंमेरे ब्लॉग पर सदैव आपका स्वागत है।
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