Dr. Varsha Singh |
हर बूंद पढ़ रही है ....
- डॉ. वर्षा सिंह
मेरे लिए बना वो रेशम की ओढ़नी
उसके लिए न पूछो मैं क्या नहीं बनी
चाहत के इक भंवर में उलझी हुई नदी
मुट्ठी में क़ैद जैसे हीरे की इक कनी
सपनों के पर जलाकर ख़ामोश हो गई
रातों की आंच लेकर सुलगी जो चांदनी
ताज़्जुब तो ये है दुनिया इक फूल के लिए
कोहरे-सी सर्द, ज़हरी, काली घनी-घनी
जुड़ने के, टूटने के आदिम-से सिलसिले
चिर कर हुई है अक्सर दो फांक रोशनी
मीठी छुवन की "वर्षा" भीगी इबारतें
हर बूंद पढ़ रही है सदियों से सनसनी
(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद अभिलाषा जी 🙏
हटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी 🙏
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 28 दिसंबर 2020 को 'होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध' (चर्चा अंक 3929) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र यादव जी 🙏
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जोशी जी 🙏
हटाएंवाह!लाजवाब आदरणीय दी... पूछो क्या नहीं बनी।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता जी 🙏
हटाएंचाहत के इक भंवर में उलझी हुई नदी
जवाब देंहटाएंमुट्ठी में क़ैद जैसे हीरे की इक कनी
सपनों के पर जलाकर ख़ामोश हो गई
रातों की आंच लेकर सुलगी जो चांदनी
शानदार ग़ज़ल...
बेहतरीन !!! - डॉ. शरद सिंह
बहुत शुक्रिया प्रिय बहन डॉ. शरद सिंह ❤️💐❤️
हटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी !
हटाएंसुन्दर सृजन आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद दीपक कुमार भानरे जी !
हटाएंजुड़ने के, टूटने के आदिम-से सिलसिले
जवाब देंहटाएंचिर कर हुई है अक्सर दो फांक रोशनी - - अंदाज़े बयां ऐसा कि हर शब्द, निशब्द कर जाये - - बेहद सुन्दर सृजन।
बहुत धन्यवाद आदरणीय सान्याल जी !
हटाएंसपनों के पर जलाकर ख़ामोश हो गई
जवाब देंहटाएंरातों की आंच लेकर सुलगी जो चांदनी
बहुत बहुत सुन्दर
बहुत शुक्रिया आलोक सिन्हा जी !
हटाएंदिल को छू गई आपकी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई
हार्दिक धन्यवाद शकुंतला जी !
हटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय ओंकार जी !
जवाब देंहटाएं