मंगलवार, जनवरी 26, 2021

लौ न गणतंत्र की बुझने पाए | ग़ज़ल | शुभ गणतंत्र दिवस | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh


लौ न गणतंत्र की बुझाने पाए


       - डॉ. वर्षा सिंह


हमने दिल में ये आज ठानी है

एक दुनिया नई बसानी है


जिनके हाथों में क़ैद है क़िस्मत

हर ख़ुशी उनसे छीन लानी है


दिल के सोए हुए चरागों में

इक नई रोशनी जगानी है


दहशतों से भरा हुआ है चमन

एकता की कली खिलानी है


जंगजूओं की महफ़िलों में हमें

प्यार की इक ग़ज़ल सुनानी है


देश आज़ाद रहेगा अपना

इसमें गंगो-जमन का पानी है


लौ न गणतंत्र की बुझाने पाए

ये शहीदों की इक निशानी है


लाख ज़ुल्म-ओ-सितम किए जाएं

अम्न की आरती सजानी है


हिन्द की सरज़मीन जन्नत है

इस पे क़ुर्बान हर जवानी है


तआरुफ़ पूछिए न "वर्षा" का

मेघ और बूंद की इक कहानी है

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16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज मंगलवार 26 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार प्रिय दिव्या अग्रवाल जी 🙏

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  2. बहुत बढ़िया।
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक धन्यवाद माथुर जी
      आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. बहुत सुन्दर और सामयिक ग़ज़ल।
    72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत-बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏
      आपके द्वारा मिली सराहना मेरे लिए हमेशा अत्यंत महत्वपूर्ण रहती है।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 27 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. प्रिय पम्मी जी,
      हार्दिक आभार ... मेरी ग़ज़ल को "पांच लिंकों का आनन्द" हेतु चयनित करने के लिए।
      शुभकामनाओं सहित,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  5. बहुत सुन्दर सृजन। गणतंत्र दिवस की असंख्य शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय शांतनु सान्याल जी 🙏

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  6. वाह!वर्षा जी ,बेहतरीन सृजन ।

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  7. सुंदर सृजन । सदा की भांति । गणतंत्र की शुभकामनाओं सहित अभिनंदन वर्षा जी ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपको आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏

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  8. नमन वर्षा जी 🙏😔🙏😔🙏🙏🙏

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