मंगलवार, जनवरी 05, 2021

क्या ख़ूब दोस्ती है | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh

क्या ख़ूब दोस्ती है !

-डॉ. वर्षा सिंह


वो है तो ज़िन्दगी है, नहीं है तो कुछ नहीं 

यूं बात ज़रा सी है, नहीं है तो कुछ नहीं 


यादों के जल रहे हैं ढेरों चिराग यूं तो

कहने को रोशनी है, नहीं है तो कुछ नहीं 


मिट्टी के ख़्वाब मिट्टी में मिल गए तो क्या 

इक फांस-सी लगी है, नहीं है तो कुछ नहीं 


एक दोस्त दुश्मनों में शामिल है इन दिनों 

क्या ख़ूब दोस्ती है, नहीं है तो कुछ नहीं 


हसरत की झाड़ियों से बाहर ना आ सकी 

दुबकी हुई ख़ुशी है, नहीं है तो कुछ नहीं 


"वर्षा" समझ न पाई आबे- सुखन का राज़ 

ये कैसी तिश्नगी है, नहीं है तो कुछ नहीं


------------


(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)


13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत धन्यवाद माथुर जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2001...यात्रा के अनेक पड़ाव होते हैं...) पर गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏🌺🙏

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी 🙏🌺🙏

      हटाएं
  4. ग़ज़ल कहने में माहिर हैं आप वर्षा जी । एक और ख़ूबसूरत ग़ज़ल निकली है यह आपकी क़लम से ।

    जवाब देंहटाएं

  5. एक दोस्त दुश्मनों में शामिल है इन दिनों

    क्या ख़ूब दोस्ती है, नहीं है तो कुछ नहीं..क्या खूब कहा है..खूबसूरत ग़ज़ल..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत शुक्रिया प्रिय जिज्ञासा जी 🌹

      हटाएं
  6. वाहहहहह बहुत सुंदर ग़ज़ल। हसरत की झाड़ियों से बाहर न आ सकी ....नहीं है तो कुछ नहीं । बधाई हो सूंदर ग़ज़ल संग्रह के लिए। 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार असरार , बहुत सुंदर उम्दा बेहतरीन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया तहेदिल से आदरणीय कुसुम कोठारी जी 🙏

      हटाएं