शनिवार, जनवरी 16, 2021

फोन पर उसकी आवाज़ | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh


फोन पर उसकी आवाज़


                 -डॉ. वर्षा सिंह


खोल दो खिड़कियां कुछ उजाला मिले 

धूप की धार से कुछ अंधेरा छिले 


सारे संसार को बांधकर इक छुवन

देह की हर थकन एक पल में सिले 


शब्द सुलगे हुए, अर्थ दहके हुए 

सांस-दर-सांस इक आंच-सी फिर खिले 


फोन पर उसकी आवाज़ की ताज़गी 

फूल खिलने-महकने के ये सिलसिले 


इस तरह से सहेजो हर इक चाह को 

ओस की बूंद से भी तनिक ना हिले


प्यास से सूखे-झुलसे हुए होंठ के 

दूर "वर्षा" करे सारे शिकवे-गिले


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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-01-2021) को   "सीधी करता मार जो, वो होता है वीर"  (चर्चा अंक-3949)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी,
      मैं अनुगृहीत हूं आपके इस औदार्य पर... हार्दिक आभार, मेरी पोस्ट का चयन चर्चा के लिए करने हेतु 🙏
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

      हटाएं
  2. संशोधित
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (17-01-2021) को   "सीधी करता मार जो, वो होता है वीर"  (चर्चा अंक-3949)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. इस तरह से सहेजो हर इक चाह को

    ओस की बूंद से भी तनिक ना हिले...वाह बहुत खूब ल‍िखा डा. वर्षा जी ...#ह‍िन्दीगज़़ल

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अलकनंदा जी 🙏

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  4. वाह बहुत ही बेहतरीन लिखा आपने ....

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