गुरुवार, अप्रैल 23, 2020

📚 विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर विशेष ग़ज़ल 📖 .... किताबें - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

    📚  विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर विशेष ग़ज़ल 📚

किताबें  📚
    - डॉ. वर्षा सिंह

जीवन का आधार किताबें।
मेरा पहला प्यार किताबें।

निपट निराशा में आशा का,
करती हैं संचार किताबें।

ख़ुशियां दुगुनी हो जाती हैं,
जब मिलती उपहार किताबें।

जड़ हो कर भी चेतनता पर,
करती हैं उपकार किताबें।

तरह-तरह के विषय हज़ारों,
खोलें सबके द्वार किताबें।

शब्दों को औजार बना कर,
ढहा चुकी दीवार किताबें।

तालाबंदी की हालत में,
"वर्षा" का संसार किताबें।

           ------/-----

आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 23.04.2020 में मेरी ग़ज़ल किताबें को स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=30059





बुधवार, अप्रैल 15, 2020

लॉकडाउन 2.0 संदर्भित बुंदेली ग़ज़ल ... नासमिटे जे कोरोना की - डॉ. वर्षा सिंह

       
Dr. Varsha Singh

         लॉकडाउन 2.0 फ़िलहाल 3 मई तक ज़ारी रहेगा। माननीय पीएम ने हमारी सुरक्षा के लिए हमसे सात वचन मांगे हैं जिन्हें पूरा करके हम कोरोना को मात दे सकते हैं। इसी विषय पर प्रस्तुत है मेरी यह बुंदेली ग़ज़ल...

*बुंदेली ग़ज़ल*
*नासमिटे जे कोरोना की*
             - डॉ. वर्षा सिंह
तीन पांच लों लॉकडाउन है, तीन पांच ने करियो।
तारा डारे हम घर बैठे, तुम अपने घर  रहियो।

दूरी खों मतलब हम खों जे डिस्टेंसिंग है रखने,
हाल तुमाओ का कैसो है, मोबाइल पे कहियो।

नासमिटे जे कोरोना की, बड़ो दोंदरा दै रऔ,
धूल चटा देबी ससरे खों, तनक धीर तो धरियो।

पुलिस, कलक्टर संगे हमरे, संगे पीएम, सीएम,
सात बचन खों पालन करबै में तनकऊ ने डरियो।

मोड़ा-मोड़ी घरे राखियो, जान कहूं ने दईयो,
दद्दा, अम्मा, मम्मा, फूफा ध्यान सबई खों रखियो।

ढाल बने से खड़े वारियर, देत सुरक्छा हमखों,
उन ओरन की सच्चे मन से जयकारे सब करियो।

"वर्षा सिंह" की जेई अरज है कोऊ रहे ने भूखो,
अपनी थारी,अपनी रोटी सबसे साझा करियो।
                ----------------

          मेरी यह ग़ज़ल आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 15.04.2020 में  प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=29215



गुरुवार, अप्रैल 09, 2020

लॉकडाउन संदर्भित बुंदेली ग़ज़ल .... इते घर बैठो भैया ! - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

    वर्तमान में 24 मार्च की रात 12 बजे से शुरू होकर  21 दिन यानी 14 अप्रैल तक लागू लॉकडाउन का आज 16 वां दिन है। ... और प्रस्तुत है  लॉकडाउन संदर्भित मेरी ताज़ा बुंदेली ग़ज़ल.....

इते घर बैठो भैया !
             - डॉ. वर्षा सिंह

चलो, इते घर बैठो भैया ! काए बाहरे जाने।
हत्यारो, पापी कोरोना, सबई जनन के लाने।

जा ने समझो, नजदीकी के बिना ने चलहे दुनिया,
दूरी हमको रख के भैय्या, रिस्ते सबई निभाने।

इते देस में तालाबंदी, उते फिरत सब छुट्टा,
पैले भीड़ लगा लई भैय्या, अब काए पछताने।

कटरा, सिविल लेन, परकोटा, शनिचरी ने जइयो,
है पूरो संसार घरई में, चैन इतई मिल जाने।

फल- सब्जी सब धो-धो धरियो, दूर संक्रमण रखियो,
धो-धो हाथ साफ करबे की, कसम सबई खों खाने।

का-कैसो है, को का कर रओ, का करने है ईसे,
पी.एम., सी.एम. सोस- फिकर में, तुम काए भैराने।

शासन और प्रशासन सबरे भला चाह रए सबको,
'डिस्टेंसिंग' समझा के  "वर्षा" होंठई लगे पिराने।
            ------------------
        मेरी यह ग़ज़ल आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 09.04.2020 में  प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=28587



#बुंदेली #ग़ज़लवर्षा #लॉकडाउन #कोरोना
#युवाप्रवर्तक

मंगलवार, अप्रैल 07, 2020

लॉकडाउन संदर्भित ग़ज़ल..... तालाबंदी के आलम में - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

     प्रस्तुत है लॉकडाउन संदर्भित मेरी ताज़ा ग़ज़ल ....

लॉकडाउन संदर्भित ग़ज़ल

तालाबंदी के आलम में
         - डॉ. वर्षा सिंह

कट जाएंगे बेशक ये भी, बेहद मुश्किल वाले दिन।
तालाबंदी के आलम में, लगते भोले-भाले दिन।

ग़ैरज़रूरी आपाधापी, कहीं दुबक कर बैठ गई,
लम्हा-लम्हा कछुए जैसे सरके ढीले-ढाले दिन।

बस्ते एक तरफ रख्खे हैं, ऑनस्क्रीन पढ़ाई है,
कुछ भी कह लो लेकिन ये हैं बच्चों के रखवाले दिन।

वक़्त सुरक्षित दूरी का है, नज़दीकी से ख़तरा है,
दिल को रखना साफ़ हमेशा, ढल जाएंगे काले दिन।

सावधान रहना ही होगा जगज़ाहिर इस आफ़त से,
बन जाएं नासूर कहीं ना बढ़ते-बढ़ते छाले दिन।

यदाकदा घटना घट जाती, नियमों के उल्लंघन की
इंसानी फ़ितरत के आगे मुज़रिम बैठे-ठाले दिन।

ये भी तय है कठिन दौर कुछ सीख नई दे जाता है
भूल न पायेंगे जीवन भर, सुआ सरीखे पाले दिन।

फ़ुर्सत के लम्हात ये सोचो, बाद मिले हैं बचपन के,
याद आते हैं सोते-जगते "वर्षा" देखे-भाले दिन।
---------------------

 मेरी यह ग़ज़ल आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 07.04.2020 में  प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=28349



#ग़ज़लवर्षा #युवाप्रवर्तक
#लॉकडाउन #कोरोना #दिन


रविवार, अप्रैल 05, 2020

मेरा भारत, स्वस्थ भारत go corona - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

तमसो मा ज्योतिर्गमय ....
आज 5 अप्रैल रविवार रात 9 बजे पूरे देश के साथ मैंने भी अपने घर की बालकनी पर दीप जलाया।

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते।।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।

.... अर्थात शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का नाश करने वाली, साथ ही शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं।
 दीपक की ज्योति परम्ब्रह्म है, दीपक की ज्योति जनार्दन है, दीपक की ज्योति पापों को हरने वाली है, सांध्य दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं।

🇮🇳 मेरा भारत, स्वस्थ भारत 🇮🇳
Go Corona

#lockdown2020 #lockdown #gocorona #gocoronago #gocoronago😷 #litcandles

शनिवार, अप्रैल 04, 2020

लॉकडाउन के समय में किताबों के महत्व को रेखांकित करती ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       लॉकडाउन के सोशल डिस्टेंसिंग वाले  इस दौर में किताबों की महत्व बढ़ गया है। किताबों की महत्ता के प्रति समर्पित मेरी यह ग़ज़ल प्रस्तुत है....


लगती भले हों पहेली किताबें  ।
बनती हैं हरदम सहेली किताबें।

भले हों पुरानी कितनी भी लेकिन
रहती हमेशा नवेली किताबें।

देती हैं भाषा की झप्पी निराली
अंग्रेजी, हिन्दी, बुंदेली किताबें।

चाहे ये दुनिया अगर रूठ जाये
नहीं रूठती इक अकेली किताबें।

शब्दों की ख़ुशबू से तर-ब-तर सी
महकाती "वर्षा", हथेली किताबें।

       📚 - डॉ. वर्षा सिंह

web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 04.04.2020 में मेरी यह ग़ज़ल "किताबें" प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=27973



#ग़ज़लवर्षा
#किताबें
#युवाप्रवर्तक