Dr. Varsha Singh |
लगा है आज रंग तो, लगा है फिर गुलाल भी ।
हुई है लाल चूनरी, हुए हैं लाल गाल भी ।
गली में, खेत में, वनों में, उड़ रहा अंबीर है,
हुई है लाल आज तो ये टेसुओं की डाल भी ।
हुआ है आज कृष्ण मन, तो राधिका ये देह है
गुज़र रहा हरेक पल, खुशी से है निहाल भी ।
मिटा के सारी दुश्मनी, लगाएं आज हम गले
भुला के हर उलाहने, मिटा दें हर सवाल भी ।
ज़रा सी हों शरारतें , ज़रा सी शोख़ हरकतें
रहे न कोई गमज़दा, मचे ज़रा धमाल भी ।
हुआ है चैतिया हवा का, इस क़दर असर यहां
मचल उठी है चाहतें, बदल गई है चाल भी ।
न आंख नम रहे कोई, न ‘‘वर्षा ’’ आंसुओं की हो
खुशी की राग-रागिनी, खुशी के सुर भी, ताल भी ।
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