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Dr. Varsha Singh |
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थात् जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
मातृ दिवस यानी मदर्स डे (Mother’s Day) मां के प्रति समर्पित एक पूरा दिन । प्रत्येक वर्ष मई माह के दूसरे रविवार के दिन पूरे विश्व में मदर्स डे मनाया जाता है। इस वर्ष मदर्स डे 12 मई को है।
किसी ने कहा है-
मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती है
मां के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है
मां अपने शिशु को पूरे नौ माह अपनी कोख में रखने के बाद असहनीय पीड़ा सहते हुए उसे जन्म देती है और इस दुनिया में लाती है। इन नौ महीनों में शिशु और मां के बीच एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता बन जाता है। यह रिश्ता शिशु के जन्म के बाद साकार होता है और जीवन पर्यन्त बना रहता है। मां और बच्चे का रिश्ता इतना प्रगाढ़ और प्रेम से भरा होता है, कि बच्चे को जरा ही कष्ट होने पर भी मां बेचैन हो उठती है। वहीं कष्ट के समय बच्चा भी मां को ही याद करता है। मां का दुलार और प्यार भरी पुचकार ही बच्चे के लिए दवा का कार्य करती है। इसलिए ही ममता और स्नेह के इस रिश्ते को संसार का सुन्दर रिश्ता कहा जाता है।
मदर डे या मातृ दिवस वेस्ट वर्जीनिया में एना जोविस द्वारा समस्त माताओं और उनके गौरवमयी मातृत्व के लिए तथा विशेष रूप से पारिवारिक और उनके परस्पर संबंधों को सम्मान देने के लिए आरंभ किया गया था । कुछ विद्वानों का मानना है कि यह ग्रीस से आरंभ हुआ है कहा जाता है कि पहले स्यबेले ग्रीक देवताओं की मां थी । उनके सम्मान में यह दिवस मनाया जाता था।
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Happy Mother's Day #GhazalYatra |
भारत में भी मातृ दिवस मां के प्रति अपनी श्रद्धा और स्नेह व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
अनेक रचनाकारों, शायरों ने अपनी शायरी में मां के प्रति अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है।
यथा, किसी ने दोहों के रूप में अपने मन की बात कही है....
स्वारथ है कोई नहीं, ना कोई व्यापार।
माँ का अनुपम प्रेम है, शीतल सुखद बयार।।
जननी को जो पूजता, जग पूजै है सोय।
महिमा वर्णन कर सके, जग में दिखै न कोय।।
माँ तो जग का मूल है, माँ में बसता प्यार।
मातृ-दिवस पर पूजता, तुझको सब संसार।।
शायर मुनव्वर राना ने मां को केन्द्रित कर अनेक शेर कहे हैं, बानगी देखें ....
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
- मुनव्वर राना
....और मुनव्वर राना का एक और मशहूर शेर है...
बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है
- मुनव्वर राना
मशहूर शायर कैफ़ भोपाली मां की गोद को सबसे सुंदर समय बताते हुए कहते हैं....
माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
- कैफ़ भोपाली
मां के प्यार के प्रति निदा फ़ाज़ली का यह शेर बहुत दिलचस्प है....
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
-निदा फ़ाज़ली
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Happy Mother's Day #GhazalYatra |
आलोक श्रीवास्तव की शायरी में मां इस तरह शामिल है....
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
-आलोक श्रीवास्तव
अख़्तर नज़्मी का मां के प्रति लगाव इस शेर में बख़ूबी झलकता है....
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
- अख़्तर नज़्मी
इस ब्लॉग की लेखिका यानी मेरे कुछ शेर देखें, जो मां के प्रति समर्पित हैं....
मुझको घर - बार बुलाती हैं वो मां की आंखें ।
दे के थपकी -सी सुलाती हैं वो मां की आंखें ।
वही चौपाई, वही कलमा, वही हैं वाणी
अक्स जन्नत का दिखाती हैं वो मां की आंखें ।
चाह कर भी मैं कभी दूर नहीं हो पाती
बूंद ‘वर्षा’ की सजाती हैं वो मां की आंखें ।
-डॉ. वर्षा सिंह
...और यह ग़ज़ल भी मां के लिए.....
नेह भरा वातायन देती।
मां सारे स्वर-व्यंजन देती।
जीने का रस्ता दिखलाती ,
संस्कार का कंचन देती।
मां महकाती जीवन पथ को,
आशीषों का गुलशन देती।
मां की ममता अमृत जैसी,
हर पल नूतन जीवन देती।
कैसा भी हो दौर समय का,
मां हरदम अपनापन देती।
'वर्षा' मां को नमन कर रही,
मां ममता का चन्दन देती।
- डॉ वर्षा सिंह
डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने मां के प्रति अपनी भावनाएं इस तरह व्यक्त की हैं.....
मां की आशीषों से बढ़ कर और नहीं कुछ होता है।
मां का आंचल जिसे मिले वो मीठी नीदें सोता है ।
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
शरद कहती हैं...
सारे जग में सबसे बेहतर मां का आंचल
तेज धूप में जैसे हो ममता का बादल
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
नवाज देवबंदीका यह शेर मां की ममता के चरम को दर्शाने वाला है...
भूके बच्चों की तसल्ली के लिए
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
- नवाज देवबंदी
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Happy Mother's Day #GhazalYatra |
शायर
दिगबंर नासवा के ये शेर देखें...
सहारा बे-सहारा ढूंढ लेंगे।
मुकद्दर का सितारा ढूंढ लेंगे।
जो माँ की उँगलियों में था यकीनन
वो जादू का पिटारा ढूंढ लेंगे।
- दिगबंर नासवा
अशोक अंजुम मां के प्यार को सबसे अलग व्याख्यायित करते हैं...
पत्नी, बहन, भाभियाँ, ताई, चाची, बुआ, मौसीजी
सारे रिश्ते एक तरफ हैं लेकिन माँ का प्यार अलग !
- अशोक अंजुम
रूपचन्द्र शास्त्री " रूप " के इन दोहों में मां की महिमा का सुंदर वर्णन है....
वो घर स्वर्ग समान है, जिसमें माँ का वास।
अब मेरा माँ के बिना, मन है बहुत उदास।।
बचपन मेरा खो गया, हुआ वृद्ध मैं आज।
सोच-समझकर अब मुझे, करने हैं सब काज।।
तारतम्य टूटा हुआ, उलझ गये हैं तार।
कहाँ मिलेगा अब मुझे, माता जैसा प्यार।।
सूना घर का द्वार है, सूना सब संसार।
माता के बिन लग रहे, फीके सब त्यौहार।।
- रूपचन्द्र शास्त्री " रूप "
शुभम मिश्रा मां - पिता के प्रति अपने उद्गार इस प्रकार प्रकट करते हैं....
भुला के नींद अपनी सुलाया हमको,
गिरा के आँसू अपने हँसाया हमको,
दर्द कभी न देना उन हस्तियों को,
खुदा ने माँ-बाप बनाया जिनको।
- शुभम मिश्रा
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मातुश्री डॉ. विद्यावती "मालविका" के चरणों में नमन - डॉ. वर्षा सिंह |
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