बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

ग़ज़ल. कितने दिनों से.. डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

उसे देखा  नहीं  कितने दिनों से
सुकूं पाया नहीं  कितने  दिनों से

न पलकों से लगीं पलकें ज़रा भी
दिखा सपना नहीं कितने दिनों से

शज़र  तन्हा, परिन्दे  दूर  जाते
समा बदला नहीं कितने दिनों से

न पूछो दोस्तो अब हाल मेरा
पता अपना नहीं कितने दिनों से

नदी सूखी, हवा भी नम नहीं है
हुई "वर्षा" नहीं कितने दिनों से


ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह

शुक्रवार, फ़रवरी 22, 2019

ग़ज़ल.... ये सिलसिला हरदम रहे - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 22 फरवरी 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=10668

यह सिलसिला हरदम रहे
                 - डॉ. वर्षा सिंह

काश, मंज़र आज जैसा उम्र भर कायम रहे।
तुम कहो और मैं लिखूं, यह सिलसिला हरदम रहे।

छल-कपट से हो न नाता, स्वार्थ की बातें न हों,
घड़कनों में प्यार की, बजती सदा सरगम रहे।

ज़िन्दगी है चार दिन की, कल पे कुछ मत छोड़िये,
आज दिल की बात कहने में न कुछ भी कम रहे।

आपसी विश्वास से रोशन रहे हर एक पल,
दिन उजालों से भरा हो, रात में पूनम रहे।

आंधियां आयें, चले लू, शीत-"वर्षा" कुछ भी हो,
दरमियां मेरे - तुम्हारे, इश्क़ का मौसम रहे।
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http://yuvapravartak.com/?p=10668

शनिवार, फ़रवरी 16, 2019

पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि... ग़ज़ल - सोच के दिल घबराता है

Dr. Varsha Singh

पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप लिखी मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 16.02.2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

ये सोच के दिल घबराता है
             - डॉ. वर्षा सिंह
कैसी आतंकी चली हवा, ये सोच के दिल घबराता है।
घर में ही ख़ूनी खेल हुआ, ये सोच के दिल घबराता है।

मां से मिलने आया बेटा, लेकिन शहीद के चोले में,
ख़ामोश तिरंगे में लिपटा, ये सोच के दिल घबराता है।

दुश्मन ने कैसी चाल चली, विश्वास हुआ चिथड़ा- चिथड़ा,
मानव ने बम बन घात किया, ये सोच के दिल घबराता है।

है छिपा मुखौटे में चेहरा, पीछे से जिसने वार किया,
इक घाव लगाया है गहरा, ये सोच के दिल घबराता है।

हम शांति पुजारी हैं अनन्य, सद्भाव हमारी पूंजी है,
होती क्यों नफ़रत की "वर्षा", ये सोच के दिल घबराता है।


बुधवार, फ़रवरी 13, 2019

ग़ज़ल .... सुबह की ताज़ा हवा में - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 13.02.2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=10037

http://yuvapravartak.com/?p=10037

रविवार, फ़रवरी 10, 2019

वसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं - डॉ. वर्षा सिंह

 
Dr. Varsha Singh
🌼 वसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌼
           मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 09.02.2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....
http://yuvapravartak.com/?p=9749

सुन लो, यही कहानी है।
जीवन बहता पानी है ।

जी लो आज अभी जो है
बेशक़ दुनिया फानी है।

नैट- चैट की बातों में
चिट्ठी हुई पुरानी है।

पहले लव की शेष यही
सूखा फूल निशानी है।

सबके मन को भाये जो,
मीठी बोली- बानी है।

गर वसन्त है राजा तो,
"वर्षा" ऋतु की रानी है।
        - डॉ. वर्षा सिंह


शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2019

ग़ज़ल ... इश्क़ का चर्चा होगा- डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh
ग़ज़ल
         - डॉ. वर्षा सिंह

जब मेरे इश्क़ का चर्चा होगा।
ज़िक्र तेरे गुलाब का होगा। 

दीन-दुनिया से बेख़बर है वो,
उसने 'लव यू', उसे कहा होगा।

भर गई ताज़गी हवाओं में,
फूल कोई कहीं खिला होगा।

उसके होंठों पे मुस्कुराहट है,
उसने मैसेज अभी पढ़ा होगा

ठौर होगा जहां पे सावन का
वही "वर्षा" का भी पता होगा।

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Happy Rose Day - Dr. Varsha Singh

सोमवार, फ़रवरी 04, 2019

ग़ज़ल... शिकायत करें भी तो क्या - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

ग़ज़ल...
             - डॉ. वर्षा सिंह

ज़िन्दगी से शिकायत करें भी तो क्या !
हर तरफ है शिकायत का मेला लगा ।

जबसे मैंने भी की दिल्लगी आपसे
रंग बदलने लगा चेहरा आपका ।

अब न कोई यहां जिसको अपना कहें
रास आती नहीं अब यहां की हवा।

जब भी चाहा करूं मैं भी मनमर्जियां
रोक लेते हैं रिश्ते मेरा रास्ता ।

हर किसी को मिले मीत जिसका हो जो
दिल से "वर्षा" के निकली है अब ये दुआ
       

#ग़ज़लवर्षा

ग़ज़ल ... डॉ. वर्षा सिंह