संगीता स्वरुप जी, मेरी गज़ल को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार.... मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है! कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
कहतें हैं न सब्र का फल मीठा होता है -कबसे था आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार - "वर्षा की मीठी ग़ज़लों से फिर से है हर्षाई रात ,'' दिन बीता फिर आई रात ,कैसी ये दुखदाई रात , यादों की जलती तीली ने ,धीरे से सुलगाई रात । " वर्षा की ग़ज़लों में अकसर उनकी है परछाईं रात ।" "मिलकर उनसे करे ठ्होका ऐसी है अलसाई रात ।" ग़ज़ल के साथ छेड़खानी के लिए मुआफी चाहता हूँ ,आपकी ग़ज़लें कुछ न कुछ छेड़ देती हैं उस वीणा के तार जिसपे ज़मी है बरसों सेहै ,धूल धनकड़ .
डॉ वर्षा सिंह जी नमस्कार -बहुत सुन्दर गजल आप के -सुन्दर ब्लॉग यादों की जलती तीली ने धीरे से सुलगाई रात होंठो पर अश आर चाँद के काजल में कजराई रात एक निवेदन है कठिन शब्द के अर्थ नीचे दे दिया करें जैसे "अश आर "-उर्दू लफ्ज सब कम समझ पाते होंगे -
Varsha ji,ghazab ki ghazale likh rahi hai aap,kamal hai sahab,aap me gazab hi jalal hai sahab,/tareef kam hai gun jyada hain .pahli baar aya aur aapka mureed ho gaya ,kis ki alag se tareef karoo,sabhi kabile tareef hai kuch jyada kuch kam. hardik abhar ,dhanyavaad in ghazalo ke liye/ sader, dr.bhoopendra rewa mp
डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह जी, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है! कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें। मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर ,उम्दा ग़ज़ल.छोटी -छोटी लाइनें,सीधे -सरल शब्द,गहरे-गहरे भाव. रात के तीन रूप और... चाँद -सितारे फरियादी हैं करती है सुनवाई रात. चाँद कटोरा लिए हाथ में भीख मांगने आई रात. जाने कितने ख्वाब मिटा कर हौले से मुस्काई रात.
कमाल लिखती हैं आप … दिन बीता फिर आई रात ! कैसी ये दुखदाई रात !
आंखें मेरी सपने उनके , अपनी हुई पराई रात ! आपकी ग़ज़लें ज़रा भी बोझिल नहीं होतीं… बहुत बड़ी ख़ासियत है यह … मुबारकबाद !
क्षमाप्रार्थी हूं , विलंब से आया हूं , कमेंट यहीं किया है , लेकिन तमाम न पढ़ी हुई ग़ज़लें पढ़ कर भरपूर आनन्द के साथ लौट रहा हूं । हार्दिक आभार और शुभकामनाएं !
अरुण कुमार निगम जी, बहुत खूब कहा है आपने ...। मेरी गजल में चंद शेर जोड़ कर आपने मेरी गजल को जो सम्मान दिया है उसके लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार. इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
वर्षाजी!हम आपकी गजलों गीतों का री -मिक्स बनाते रहें हैं पहले -',"धूप साया नदी हवा औरत का ,इस धरा पर नेमते खुदा औरत "हामाराब्लॉग देखिएगा पीछे जाइयेगा थोड़ा सा .मिलेगा यह री -मिक्स आपके आदरणीय उल्लेख के साथ और अब बारी इस गज़ल की है - सावन बदरा और घटाएं ,उसकी है परछाईं रात , बरखा की बौछारें छप छप उसमें खूब नहाई रात .गुस्ताखी मुआफ .
वर्षाजी!हम आपकी गजलों गीतों का री -मिक्स बनाते रहें हैं पहले -',"धूप साया नदी हवा औरत का ,इस धरा पर नेमते खुदा औरत "हामाराब्लॉग देखिएगा पीछे जाइयेगा थोड़ा सा .मिलेगा यह री -मिक्स आपके आदरणीय उल्लेख के साथ और अब बारी इस गज़ल की है - सावन बदरा और घटाएं ,उसकी है परछाईं रात , बरखा की बौछारें छप छप उसमें खूब नहाई रात . चन्दा की चंदनिया में फिर उजली धुलीधुलाई रात , होठों पर अशारे मोहब्बत ,फिर से है शरमाई रात । क्या करें हम से रहा नहीं जाता ,भाव गंगा में छोड़ आप चली जातीं हैं .
कैसे,किन शब्दों में कह दी उसने अपने दिल की बात.... खिलखिलाकर हंसने लगी काली अंधियारी पगली रात !! चन्दा अचकचाकर जागा और लेने लागा जब अंगडाई शरमाकर तब उठ बैठी और जगमगाने लग गयी रात !! तडके ही इक सपना देखा कि जम्हाई लेती थी रात धरती और आसमां के बीच पुल बन जाती थी रात !! अब तो मैं खुद भी बातें करने अंगडाई लेकर उठ बैठा हूँ ना जाने अब कब क्या बोलेगी अनजानी-दीवानी रात !!
राजीव थेपड़ा जी, आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कह कर मेरी गजल को जो सम्मान दिया है उसके लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार. इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
आदरणीया डा० वर्षा - टिप्पणियों की इस भीड़ में क्या टिपण्णी दूँ? लेकिन ग़ज़ल पढ़ के खुद को रोक पाना कठिन है. एक शब्द में कहूँ तो आपके इस ग़ज़ल को पढ़कर काफी आत्मिक सुख मिला. आप बहुत अच्छा लिखतीं हैं. कई बार पढ़ने के बाद भी प्यास बनी हुई है. मैंने अपने कई मित्रों से भी आपके बारे में चर्चा की है. सचमुच आप की लेखनी प्रशंसनीय हैं कम से कम मैं बहुत प्रभावित हुआ. संपर्क बनाए रखने की कामना के साथ- सादर श्यामल सुमन 09955373288 www.manoramsuman.blogspot.com
संतोष पाण्डेय जी, जी हां, मुंबई जनसत्ता के सबरंग में मेरी गजलों को प्रकाशित होने का अवसर मिलता रहा है..... स्मरण करने और विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद। इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
वाह! क्या भाव हैं। क्या अशयार हैं। हर किसी को बिलकुल अपने लगते हैं। जैसे कुछ शेर जोड देने का दिल कर रहा है- हमदम की यादांे का झोंका आंचल में भर लाई रात। बाहों में सर रख कर सोई सारी रात जगाई रात।
"यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात ।"
बहुत खूब ! क्या बात है ! वाह !
उम्दा गजल ।
"यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात ।"
बहुत बढ़िया वर्षाजी .....बेहतरीन ग़ज़ल
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल है ,वर्षा जी.
जवाब देंहटाएंरात तनहा तो है पर खूबसूरत है.
"यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात ।"
एक-एक शब्द साहित्य की धरोहर और संपूर्ण रूप से बात कह सकने में सक्षम, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई
aadarniy Barsha ji namaskaar,
जवाब देंहटाएंbahut dinon baad ek sundar prastuti ke saath aagman , bahut achchha laga
aabhar
बहुत सुन्दर गज़ल
जवाब देंहटाएं"यादों की जलती तीली ने
धीरे से सुलगाई रात ।"
वाह वाह
आंखें मेरी सपने उनके,
जवाब देंहटाएंअपनी हुई पराई रात ।
ख़ूबसूरत शे'र ,बेहतरीन ग़ज़ल ,
बहुत बढ़िया लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
BAHUT KHUB KAHA MAM APNE.
जवाब देंहटाएंJAI HIND JAI BHARAT
रात फिर आएगी ,सपने फिर आयेंगें
जवाब देंहटाएंआप की इस गज़ल के शे'र फिर
गुन-गुनाए जायेंगें |
खुश रहिये !
अशोक सलूजा !
आदरणीय वर्षा जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल .... आभार
बीती नहीं बितायी जाए
जवाब देंहटाएंअब तो ये हरजाई रात..
बहुत सुन्दर रचना..
डॉ.मीनाक्षी स्वामी जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
विशाल जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
कुश्वंश जी,
जवाब देंहटाएंजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी गज़ल पसन्द आई....
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
संजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी ग़ज़ल पसन्द आई। आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
दीपक सैनी जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
डॉ. संजय दानी जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया......अत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंआंखें मेरी सपने उनके,
अपनी हुई पराई रात ।
बहुत खूब
यशवन्त माथुर जी,
जवाब देंहटाएंइसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
निशान्त जी,SAJAN.AAWARA
जवाब देंहटाएंआपने मेरी ग़ज़ल को पसन्द किया..सुखद लगा ...
आभारी हूं।
अशोक सलूजा जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
आशुतोष जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात ।"
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
सुनील कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
हर शेर लाजवाब,मत्ले से मक्ते तक बेहतरीन ग़ज़ल है,वर्षा जी.
जवाब देंहटाएंकुंवर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी गज़ल आपको पसन्द आई.... बहुत-बहुत आभार......
कहतें हैं न सब्र का फल मीठा होता है -कबसे था आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार -
जवाब देंहटाएं"वर्षा की मीठी ग़ज़लों से फिर से है हर्षाई रात ,''
दिन बीता फिर आई रात ,कैसी ये दुखदाई रात ,
यादों की जलती तीली ने ,धीरे से सुलगाई रात ।
" वर्षा की ग़ज़लों में अकसर उनकी है परछाईं रात ।"
"मिलकर उनसे करे ठ्होका ऐसी है अलसाई रात ।"
ग़ज़ल के साथ छेड़खानी के लिए मुआफी चाहता हूँ ,आपकी ग़ज़लें कुछ न कुछ छेड़ देती हैं उस वीणा के तार जिसपे ज़मी है बरसों सेहै ,धूल धनकड़ .
डॉ वर्षा सिंह जी नमस्कार -बहुत सुन्दर गजल आप के -सुन्दर ब्लॉग
जवाब देंहटाएंयादों की जलती तीली ने
धीरे से सुलगाई रात
होंठो पर अश आर चाँद के
काजल में कजराई रात
एक निवेदन है कठिन शब्द के अर्थ नीचे दे दिया करें जैसे "अश आर "-उर्दू लफ्ज सब कम समझ पाते होंगे -
कविताई का असल मजा तो इन छंदबद्ध पंक्तियों में है, शब्द शब्द भाव भरे...
जवाब देंहटाएंVarsha ji,ghazab ki ghazale likh rahi hai aap,kamal hai sahab,aap me gazab hi jalal hai sahab,/tareef kam hai gun jyada hain .pahli baar aya aur aapka mureed ho gaya ,kis ki alag se tareef karoo,sabhi kabile tareef hai kuch jyada kuch kam.
जवाब देंहटाएंhardik abhar ,dhanyavaad in ghazalo ke liye/
sader,
dr.bhoopendra
rewa
mp
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए...
अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
भ्रमर जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी गज़ल आपको पसन्द आई....बहुत-बहुत आभार......
आपको सुझावों का स्वागत है.
संजीव जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल आपको पसन्द आई यह जान कर सुखद अनुभव हुआ.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात|
सुलग गयी जब रात सुहानी
काटे ना कट पाई रात|
यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात.....
-क्या बात है, वाह!! बहुत उम्दा गज़ल!!!
बहुत ही सुन्दर ,उम्दा ग़ज़ल.छोटी -छोटी लाइनें,सीधे -सरल शब्द,गहरे-गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंरात के तीन रूप और...
चाँद -सितारे फरियादी हैं
करती है सुनवाई रात.
चाँद कटोरा लिए हाथ में
भीख मांगने आई रात.
जाने कितने ख्वाब मिटा कर
हौले से मुस्काई रात.
आदरणीया वर्षा जी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम !
कमाल लिखती हैं आप …
दिन बीता फिर आई रात !
कैसी ये दुखदाई रात !
आंखें मेरी सपने उनके ,
अपनी हुई पराई रात !
आपकी ग़ज़लें ज़रा भी बोझिल नहीं होतीं…
बहुत बड़ी ख़ासियत है यह … मुबारकबाद !
क्षमाप्रार्थी हूं , विलंब से आया हूं , कमेंट यहीं किया है , लेकिन तमाम न पढ़ी हुई ग़ज़लें पढ़ कर भरपूर आनन्द के साथ लौट रहा हूं ।
हार्दिक आभार और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हेम पांङेय जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
वाह क्या शेर कहा है आपने भी मेरे शेर के साथ....बहुत खूब !
समीर लाल जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है आपने ...।
मेरी गजल में चंद शेर जोड़ कर आपने मेरी गजल को जो सम्मान दिया है उसके लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
जवाब देंहटाएंदेर से सही, आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद !
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
yaadon ki tili ... bahut hi jabardast vimb
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंवर्षाजी!हम आपकी गजलों गीतों का री -मिक्स बनाते रहें हैं पहले -',"धूप साया नदी हवा औरत का ,इस धरा पर नेमते खुदा औरत "हामाराब्लॉग देखिएगा पीछे जाइयेगा थोड़ा सा .मिलेगा यह री -मिक्स आपके आदरणीय उल्लेख के साथ और अब बारी इस गज़ल की है -
जवाब देंहटाएंसावन बदरा और घटाएं ,उसकी है परछाईं रात ,
बरखा की बौछारें छप छप उसमें खूब नहाई रात .गुस्ताखी मुआफ .
वर्षाजी!हम आपकी गजलों गीतों का री -मिक्स बनाते रहें हैं पहले -',"धूप साया नदी हवा औरत का ,इस धरा पर नेमते खुदा औरत "हामाराब्लॉग देखिएगा पीछे जाइयेगा थोड़ा सा .मिलेगा यह री -मिक्स आपके आदरणीय उल्लेख के साथ और अब बारी इस गज़ल की है -
जवाब देंहटाएंसावन बदरा और घटाएं ,उसकी है परछाईं रात ,
बरखा की बौछारें छप छप उसमें खूब नहाई रात .
चन्दा की चंदनिया में फिर उजली धुलीधुलाई रात ,
होठों पर अशारे मोहब्बत ,फिर से है शरमाई रात ।
क्या करें हम से रहा नहीं जाता ,भाव गंगा में छोड़ आप चली जातीं हैं .
बहुत अच्छा लिखती हैं आप । मजा आ गया पढ कर । लिखजें रहें हमारे लिए ।
जवाब देंहटाएंवर्षा जी,
जवाब देंहटाएंक्या बढ़िया लिखा है सच ही तो है....
"यादों की जलती तीली ने
धीरे से सुलगाई रात!
आंखें मेरी सपने उनके,
अपनी हुई पराई रात ।"
आप कभी मेरे ब्लॉग पर भी जरूर आयें..बहुत बहुत आभार.
आशु
http://www.dayinsiliconvalley.blogspot.com/
http://sukhsaagar.blogspot.com/
http://whatsupsiliconvalley.blogspot.com/
बहुत खूब ... लाजवाब ग़ज़ल है ... हर शेर पर वाह वाह निकलती है ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंदिन बीता और आई रात, कैसी ये दुखदायी रात। बहुत सुंदर
रश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
उर्मि चक्रवर्ती जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
veerubhai ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
Hope you will be give me your valuable response on my future posts.
Always welcome your comments on my blogs.
वेदप्रकाश जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है।
मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।
आभार...
आशु जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल आपको पसन्द आई यह जान कर सुखद अनुभव हुआ.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
दिगम्बर नासवा जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे शायर के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
महेन्द्र श्रीवास्तव जी,
जवाब देंहटाएंअपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
,
Manpreet Kaur Ji,
जवाब देंहटाएंIt's a pleasure to have you on my blog. regards,
Please visit my Chhattisgarhi blog also.
जवाब देंहटाएंछोटी बहर में आपको महारथ हासिल होती जा रही है. बहुत ही अच्छे शेर कहे हैं आपने. एक कामयाब ग़ज़ल....बधाई!
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
बेहतरीन ग़ज़ल ,
जवाब देंहटाएंजो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
जवाब देंहटाएंपढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_1808.html
यादों की जलती तीली ने
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात ।
kya likha hai gajab bahut hi sunder
badhai
rachana
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल....बधाई!,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कैसे,किन शब्दों में कह दी उसने अपने दिल की बात....
जवाब देंहटाएंखिलखिलाकर हंसने लगी काली अंधियारी पगली रात !!
चन्दा अचकचाकर जागा और लेने लागा जब अंगडाई
शरमाकर तब उठ बैठी और जगमगाने लग गयी रात !!
तडके ही इक सपना देखा कि जम्हाई लेती थी रात
धरती और आसमां के बीच पुल बन जाती थी रात !!
अब तो मैं खुद भी बातें करने अंगडाई लेकर उठ बैठा हूँ
ना जाने अब कब क्या बोलेगी अनजानी-दीवानी रात !!
होंटों पर अशआर चाँद के
जवाब देंहटाएंकाजल में कजराई रात
ये शेर ग़ज़ल की शान में सचमुच
चार चाँद लगा रहा है ...
पूरी ग़ज़ल ही
जगमग तारों का आकाश बन पडी है !!
मुबारकबाद .
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद।
देवेंद्र गौतम जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
डॉ॰ दिव्या श्रीवास्तव जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अशोक जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
रचना जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए...
अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
विवेक जैन जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
राजीव थेपड़ा जी,
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कह कर मेरी गजल को जो सम्मान दिया है उसके लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
दानिश जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल आपको पसन्द आई यह जान कर सुखद अनुभव हुआ.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
यादों की जलती तीली ने,
जवाब देंहटाएंधीरे से सुलगाई रात !
वाह वर्षा जी, क्या शेर है !
जितना सुन्दर विम्ब उतना ही सुन्दर भाव !
आभार !
"यादों की तीली" और "रात का सुलगना" बहु खूब लगा ये अंदाज़े बयाँ!
जवाब देंहटाएंशानदार ग़ज़ल!
बहुत सुन्दर शब्दों में सजी ये खुबसूरत रात |
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल |
वर्षा जी नमस्कार. क्या लाजवाब ग़ज़ल है. वाह.
जवाब देंहटाएंमैंने शायद आपको पहले भी पढ़ा है. मुंबई जनसत्ता के सबरंग में.कोई दो दशक पहले.सही है न?
आदरणीया डा० वर्षा - टिप्पणियों की इस भीड़ में क्या टिपण्णी दूँ? लेकिन ग़ज़ल पढ़ के खुद को रोक पाना कठिन है. एक शब्द में कहूँ तो आपके इस ग़ज़ल को पढ़कर काफी आत्मिक सुख मिला. आप बहुत अच्छा लिखतीं हैं. कई बार पढ़ने के बाद भी प्यास बनी हुई है. मैंने अपने कई मित्रों से भी आपके बारे में चर्चा की है. सचमुच आप की लेखनी प्रशंसनीय हैं कम से कम मैं बहुत प्रभावित हुआ. संपर्क बनाए रखने की कामना के साथ-
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
'साहिल' जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
मीनाक्षी पंत जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
संतोष पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंजी हां, मुंबई जनसत्ता के सबरंग में मेरी गजलों को प्रकाशित होने का अवसर मिलता रहा है.....
स्मरण करने और विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
श्यामल सुमन जी,
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी भी मेरे लिये बहुमूल्य हैं....इस आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
सुन्दर रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंअमरेन्द्र अमर जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
वाह! क्या भाव हैं। क्या अशयार हैं। हर किसी को बिलकुल अपने लगते हैं। जैसे कुछ शेर जोड देने का दिल कर रहा है-
जवाब देंहटाएंहमदम की यादांे का झोंका
आंचल में भर लाई रात।
बाहों में सर रख कर सोई
सारी रात जगाई रात।