पर फैलाता मन का पंछी ऊंची इसे उड़ान मिल गई। .. ये पल ही कुछ ऐसे होते हैं जब किसी मनभावन को पा ले तो मन उन्मुक्त वितान में उड़ान भरने लगता है। सरस, गेय, और बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई।
तुमने छेड़े स्वर मनमोही मन वीणा को तान मिल गयी... पर फैलाता मन का पंछी ऊंची इसे उड़ान मिल गई। बहुत समय के बाद बहुत अच्छी श्रृंगार संसिक्त ग़ज़ल पढ़ी .शुक्रिया !
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी, यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपने मेरी ग़ज़ल का चयन सोमवासरीय चर्चा मंच हेतु किया है . आपको बहुत बहुत धन्यवाद ! आपकी इस आत्मीयता के लिए मैं अनुगृहीत हूं.
वर्षा जी, आपकी कविताओं में जो शब्दों की नाजुकी और भावों की कोमलता होती है वह इन्हें बार बार पढ़ने और गुनगुनाने को बाध्य करती है.सच कहूँ तो आपकी हर कविता को बड़े ही मन से ही पढ़ती हूँ.
पढ़े सो निहाल !बहुत सुन्दर रचना और आपकी ब्लोगिया दस्तक के लिए आभार .बहुत समय से सागर आने का मन है .वहां मेरे पूर्व (सहयोगी) सहपाठी डॉ .अनिल बाजपाई हैं ,अशोक बाजपाई जी के छोटे भाई .पूर्व दिप्युती रजिस्ट्रार सागर विश्व विद्यालय के सुपुत्र .योग नहीं बन पा रहा है .कोई आने का खूबसूरत बहाना मिले तो हिम्मत जुटाएं .आपका और डॉ शरद सिंह का वहां होना भी एक आकर्षण है ,लत के देखने का व्यतीत को .वीरुभाई आदर एवं नेहा से - ०९३ ५० ९८ ६६ ८५ /०९६१ ९०२२ ९१४
डॉ.वर्षा सिंह.....हम्मम्मम्म....तो आप हैं वो....वो....वो....जो इतना अच्छा लिखती हैं.....कि....कि....कि....मैं एक सांस में...बैक-बैक-बैक जाकर एक के बाद एक ग़ज़ल पढता गया-पढता गया....और...और...और....कभी बूंदों में...कभी मेहंदी में....कभी ना जाने क्या कुछ में बहता गया.....सुधार लीजिये आप अपने आप को....वरना दीवाना हो जाउंगा....मैं आपका...अरे नहीं...नहीं भई....आपकी गज़लों का (अब बुरा मत मान जाईयेगा !!)हमने तो बिना लाग-लपेट के अपनी बात उर्फ़ अपनी टिप्पणी चेप दी है.....
समयाभाव के कारण अधिक गजल नहीं पढ़ सका, लेकिन जितनीं भी पढ़ीं, सबने प्रभावित किया. मानस पटल पर प्रभाव छोड़ने वाली रचनाएँ हैं. पूरा ब्लॉग पढ़ने के बाद शेष फिर ..... धन्यवाद. आनन्द विश्वास. अहमदाबाद.
bahut he umda ..har ek rachna bahut he khoobsurat>>Dr. Varsha Singh ji . May I please request you to add me FB if u would not mind,,,Regards ramkrishn myfriends1960@gmail.com
तुमने छेड़े स्वर मन मोही.........क्या बात है गजब, वाह वाह
जवाब देंहटाएंसुनील कुमार जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
panchhi ko unchi udaan aur aapke khyaalon ko poora aakash... badhaai
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
man ki udan to anynatrit hai....lekin jab tak iski udan upar ki taraf hai tab tak hi zindgi hai.
जवाब देंहटाएंsunder kavita.
अनामिका जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
पर फैलाता मन का पंछी
जवाब देंहटाएंऊंची इसे उड़ान मिल गई।
.. ये पल ही कुछ ऐसे होते हैं जब किसी मनभावन को पा ले तो मन उन्मुक्त वितान में उड़ान भरने लगता है। सरस, गेय, और बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई।
बहुत उम्दा ग़ज़ल......
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ...मन वीणा को तान मिल गयी ... सरस रचना
जवाब देंहटाएंबेटियां होती ही ऐसी हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अहसास ।
सुन्दर ग़ज़ल ।
वाह! क्या बात है...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसृगार रस से उत्प्रोत एक शानदार ग़ज़ल पढ़कर मन प्रसन्न हो गया , रेशमी हो गया , बधाई अच्छे शब्द संचयन के लिए भी काव्य के लिए भी
जवाब देंहटाएंआप अपनी प्यारी-सी ग़ज़ल के साथ जो चित्र लगाती हैं वो बड़े सटीक और खूबसूरत होते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल . आभार .
जवाब देंहटाएंउत्साह से परिपूर्ण पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है गजब, वाह वाह
जवाब देंहटाएंतुमने छेड़े स्वर मनमोही
जवाब देंहटाएंमन वीणा को तान मिल गयी...
वाह... कमाल का शेर... उम्दा ग़ज़ल..
सादर बधाई...
आज फिर वर्षा बहार आई ,
जवाब देंहटाएंसबके मन में फुहार लाई
शुभकामनायें!|
तुमने छेड़े स्वर मनमोही
जवाब देंहटाएंमन वीणा को तान मिल गयी...
पर फैलाता मन का पंछी
ऊंची इसे उड़ान मिल गई।
बहुत समय के बाद बहुत अच्छी श्रृंगार संसिक्त ग़ज़ल पढ़ी .शुक्रिया !
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस अनुग्रह के लिए आभार...
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार ....
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद!
डॉ टी एस दराल जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत धन्यवाद !
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
कुश्वंश जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कुंवर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार......
स्वराज्य करुण जी,
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार!
प्रवीण पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए..
हार्दिक धन्यवाद.
संजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद !
संजय मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपने मेरी ग़ज़ल का चयन सोमवासरीय चर्चा मंच हेतु किया है . आपको बहुत बहुत धन्यवाद ! आपकी इस आत्मीयता के लिए मैं अनुगृहीत हूं.
अशोक जी, - यादें -
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद.
वीरूभाई जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
वर्षा जी, आपकी कविताओं में जो शब्दों की नाजुकी और भावों की कोमलता होती है वह इन्हें बार बार पढ़ने और गुनगुनाने को बाध्य करती है.सच कहूँ तो आपकी हर कविता को बड़े ही मन से ही पढ़ती हूँ.
जवाब देंहटाएंwah .......man ke komal bhavon ka bahut hi khoobsoorat chitran.
जवाब देंहटाएंहोठों को पहचान मिल गई ,
जवाब देंहटाएंजीवन को पहचान मिल गई .
जबसे तुमको पाया मैंने ,जीवन को ज्यों ,खान मिल गई .
कोमल भाव की श्रृंगार परक ग़ज़ल .पढने वाला भी निहाल .
बहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंपर फैलाता मन का पंछी
जवाब देंहटाएंऊंची इसे उड़ान मिल गई।
तुमने छेड़े स्वर मनमोही
मन वीणा को तान मिल गयी...
कोमल भावों की सुंदर गजल और ब्लॉग पर चित्र सहित प्रस्तुतिकरण और भी मनमोहक ...कैसे करती हैं आप
नेह की वर्षा तन मन भींगा बहुत अच्छा।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी गज़ल..
जवाब देंहटाएंनेह की वर्षा अंदर तक भिगो गयी. लाजवाब प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंman vina ko tan mil gai kya abhivyakti hai
जवाब देंहटाएंbahut sunder
rachana
खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना | बधाई |
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी पधारें |
**मेरी कविता**
वाह...वाह...वाह....
जवाब देंहटाएंप्रवाहमयी..मद्धम प्रवाह से मन में उतरती भावपूर्ण अतिसुन्दर रचना...
सपना निगम जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार......
वन्दना जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरी गजल को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
बहुत-बहुत आभार......
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
कुमार जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद !
वन्दना जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
निशा महाराणा जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
कैलाश सी. शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
रचना दीक्षित जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
रचना जी,
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार!
दिलबाग विर्क जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
पी.के.साहनी जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
रंजना जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस आत्मीयता के लिए मैं अनुगृहीत हूं.बहुत-बहुत आभार!
सरल शब्दों वाली बहुत ही प्यारी कविता है.
जवाब देंहटाएंमन वीणा को तान मिल गयी ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब दिलकश अंदाज़ के शेर हैं सभी ... आ ब्लॉग पर बहुत ही लाजवाब अंदाज़ में पोस्ट लगाती हैं ... मज़ा आ जाता है ..
Ojaswi Kaushal ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comment & invitation.
भूषण जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
दिगम्बर नासवा जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
Bahut khub kahi aapne...
जवाब देंहटाएंbahut hi umda gazal ke liye badhai swikar karen..
जवाब देंहटाएंअहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं
जवाब देंहटाएंबिना किसी अवरोध के मन में सहज उतरती समाती जाती गजल !
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंDr.Bhawna,
जवाब देंहटाएंYou are always welcome in my blog.
I am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
वीरेन्द्र जैन जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार......
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अरविंद मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार......
mahendra srivastava ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
Hope you will be give me your valuable response on my future posts.
बहुत खूबसूरत नाचती गाती महकती रचना | :)
जवाब देंहटाएंपढ़े सो निहाल !बहुत सुन्दर रचना और आपकी ब्लोगिया दस्तक के लिए आभार .बहुत समय से सागर आने का मन है .वहां मेरे पूर्व (सहयोगी) सहपाठी डॉ .अनिल बाजपाई हैं ,अशोक बाजपाई जी के छोटे भाई .पूर्व दिप्युती रजिस्ट्रार सागर विश्व विद्यालय के सुपुत्र .योग नहीं बन पा रहा है .कोई आने का खूबसूरत बहाना मिले तो हिम्मत जुटाएं .आपका और डॉ शरद सिंह का वहां होना भी एक आकर्षण है ,लत के देखने का व्यतीत को .वीरुभाई आदर एवं नेहा से -
जवाब देंहटाएं०९३ ५० ९८ ६६ ८५ /०९६१ ९०२२ ९१४
मीनाक्षी पंत जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
वीरुभाई जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरी गजल को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
बहुत-बहुत आभार......
पर फैलाता मन का पंछी
जवाब देंहटाएंऊंची इसे उड़ान मिल गई।
तुमने छेड़े स्वर मनमोही
मन वीणा को तान मिल गयी।
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल।
बार-बार पढ़ने का मन करे।
mahendra verma ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
You are always welcome in my blog.
लाजवाब ग़ज़ल...दाद कबूल करें
जवाब देंहटाएंनीरज
डॉ.वर्षा सिंह.....हम्मम्मम्म....तो आप हैं वो....वो....वो....जो इतना अच्छा लिखती हैं.....कि....कि....कि....मैं एक सांस में...बैक-बैक-बैक जाकर एक के बाद एक ग़ज़ल पढता गया-पढता गया....और...और...और....कभी बूंदों में...कभी मेहंदी में....कभी ना जाने क्या कुछ में बहता गया.....सुधार लीजिये आप अपने आप को....वरना दीवाना हो जाउंगा....मैं आपका...अरे नहीं...नहीं भई....आपकी गज़लों का (अब बुरा मत मान जाईयेगा !!)हमने तो बिना लाग-लपेट के अपनी बात उर्फ़ अपनी टिप्पणी चेप दी है.....
जवाब देंहटाएंKhoobsoorat faces ke saath khoobsoorat lafzon ki GHAZALEN bhi wakai maza aaya ek bar fir/badhiya likhti hai aap.sader,
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra singh
rewa
mp
Its always a treat to read what u write..
जवाब देंहटाएंbeautiful choice of words...
Loved it !!!
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लाजवाब ग़ज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज गोस्वामी जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत आभार......
Jyoti Mishra ji,
जवाब देंहटाएंHearty Thanks for your valuable comment.
बबली जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
Maheshwari kaneri ji,
जवाब देंहटाएंI am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
प्रेम-नगर में पाँव धरे तो
जवाब देंहटाएंखुशियों की दुकान मिल गई.
हाथ उठा कर अब क्या मांगें
सब राहें आसान मिल गई.
बहुत सुंदर गज़ल.
bahut nazuk si pyari si........wah.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.. सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
मृदुला प्रधान जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद!
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
जवाब देंहटाएंनवरात्रि पर्व पर आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
अमरेन्द्र अमर जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
नवरात्रि पर्व पर आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
नेह की वर्षा हो तो तन मन आत्मा का भीगना तो निश्चित ही है और प्रेम वर्षा होते ही सब कुछ नूतन सृजित हो जाता है, बहुत ही श्रेष्ठ रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
समयाभाव के कारण अधिक गजल नहीं पढ़ सका,
जवाब देंहटाएंलेकिन जितनीं भी पढ़ीं, सबने प्रभावित किया.
मानस पटल पर प्रभाव छोड़ने वाली रचनाएँ हैं.
पूरा ब्लॉग पढ़ने के बाद शेष फिर .....
धन्यवाद.
आनन्द विश्वास.
अहमदाबाद.
ताऊ रामपुरिया जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
आनन्द विश्वास जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
मेरे इस ब्लाग एवं मेरी गजलों पर अपने विचार प्रकट करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
lajavab gajal..
जवाब देंहटाएंbahut he umda ..har ek rachna bahut he khoobsurat>>Dr. Varsha Singh ji .
जवाब देंहटाएंMay I please request you to add me FB if u would not mind,,,Regards ramkrishn
myfriends1960@gmail.com