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Dr. Varsha Singh |
दिन डूबा और आई शाम।
याद दिलाने फिर वो नाम।
उसने ही मुंह फेर लिया,
जिस पर वारी उम्र तमाम।
मेल, व्हाट्सएप चेक किये,
आया ना उसका पैगाम।
इश्क़ हुआ तब ये जाना,
इश्क़ का है ऐसा अंजाम।
ख़्वाब संजोए सत्ता के
"वर्षा" दिल तो हुआ ग़़ुलाम।
- डॉ. वर्षा सिंह
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ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह # ग़ज़लयात्रा |
मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति, शब्दों द्वारा बेहद सुन्दर प्रकटीकरण हेतु बधाई ।
जवाब देंहटाएंपुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी,
हटाएंबहत-बहुत धन्यवाद 🙏