बुधवार, अगस्त 28, 2013

आज भी......


9 टिप्‍पणियां:



  1. अब मेरा दिल कहां रहा मेरा
    वाऽहऽऽ…!
    अच्छा क़त्आ है

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  2. प्रेम में जो प्रतीक्षा होती है वह किसी तपस्या से कम नहीं है । यही प्रेम की पीर जीने का सहारा बन जाती है । सुन्दर प्रस्तुति ।

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