शुक्रवार, फ़रवरी 22, 2019

ग़ज़ल.... ये सिलसिला हरदम रहे - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 22 फरवरी 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=10668

यह सिलसिला हरदम रहे
                 - डॉ. वर्षा सिंह

काश, मंज़र आज जैसा उम्र भर कायम रहे।
तुम कहो और मैं लिखूं, यह सिलसिला हरदम रहे।

छल-कपट से हो न नाता, स्वार्थ की बातें न हों,
घड़कनों में प्यार की, बजती सदा सरगम रहे।

ज़िन्दगी है चार दिन की, कल पे कुछ मत छोड़िये,
आज दिल की बात कहने में न कुछ भी कम रहे।

आपसी विश्वास से रोशन रहे हर एक पल,
दिन उजालों से भरा हो, रात में पूनम रहे।

आंधियां आयें, चले लू, शीत-"वर्षा" कुछ भी हो,
दरमियां मेरे - तुम्हारे, इश्क़ का मौसम रहे।
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